शिमला। सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता एम सुधा देवी की अध्यक्षता में यहां प्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों और जिला बाल संरक्षण अधिकारियों की वर्चुअल बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की प्रगति की समीक्षा की गई।
एम सुधा देवी ने कहा कि इस योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, मार्गदर्शन और करियर परामर्श, वस्त्र भत्ता, त्यौहार और विवाह अनुदान, मकान निर्माण के लिए भूमि और अनुदान का आवंटन, राज्य के बाहर वार्षिक शैक्षणिक दौरे, कोचिंग, उच्च शिक्षा व व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास पाठ्यक्रमों को प्रायोजित करने, अनाथ बच्चों व देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को स्वरोज़गार, स्टार्ट-अप के लिए सहायता प्रदान करने जैसे लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया में तेज़ी लाने के निर्देश दिए।
उन्होंने पर्यवेक्षकों तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहित सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य में अनाथ बच्चों की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए सर्वेक्षण 21 दिनों के भीतर पूरा करें। उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों को मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अन्तर्गत लाने के लिए अनाथ बच्चों का विवरण संबंधित उपायुक्त को प्रस्तुत करें।
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण एक अभियान के रूप में चलाया जाना चाहिए ताकि कोई भी पात्र बच्चा लाभ पाने से वंचित न रहे। उन्होंने निर्देश दिए कि आवेदन पत्र खंड स्तरीय कार्यालयों में आसानी से उपलब्ध करवाएं ताकि आवेदक के लिए यह सुलभ उपलब्ध हों।
सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के गतिशील नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना शुरू की है।
इस योजना के तहत बच्चों और एकल नारी की उच्च शिक्षा और कौशल विकास प्रशिक्षण की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष भी स्थापित किया गया है।
उन्होंने योजना के तहत प्राप्त आवेदनों को मिशन मोड में प्राप्त करने तथा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार संसाधित करने के निर्देश भी दिए।