शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने जिला मण्डी के नेरचौक के समीप कांसा चौक में हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ द्वारा आयोजित 5वें प्रांत अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार अध्यापकों की विभिन्न श्रेणियों की सभी उचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण विद्यार्थी सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, क्योंकि लाॅकडाउन के कारण सभी शैक्षणिक संस्थान बन्द रहे, परन्तु प्रदेश सरकार ने विभिन्न नवाचार कार्यक्रमों को शुरू कर यह सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो।
उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन प्रदान किए गए हैं ताकि वे आॅनलाइन कक्षाओं से लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि अध्यापक राष्ट्र निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जय राम ठाकुर ने कहा कि अध्यापकों की विभिन्न श्रेणियों के 8600 से अधिक नए पदों और पदोन्नति के माध्यम से 6000 पदों को भरा गया है तथा इस अवधि के दौरान शिक्षा विभाग ने 16000 से अधिक अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों को नियमित किया है।
उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान 14687 से अधिक पैरा, पीटीए और अनुबन्ध अध्यापकों भी नियमित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य कई क्षेत्रों में अग्रणी है और शिक्षा क्षेत्र उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय अध्यापकों के कठिन परिश्रम और समर्पण भाव को जाता है।
उन्होंने कहा कि राज्य शिक्षा में समुचित विस्तार कर चुका है और सरकार गुणात्मक शिक्षा और शैक्षणिक अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण पर बल दे रही है। उन्होंने कहा कि अध्यापकों की सभी जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यह सुनिश्चित किया है कि लाॅकडाउन के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए प्रदेश में अभिनव कार्यक्रम हर घर पाठशाला की शुरूआत की गई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अध्यापकों के कल्याण के लिए हमेशा चिंतित रहते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें समय पर सभी वित्तीय लाभ प्राप्त हों।
उन्होंने कहा कि प्रदेश शिक्षा विभाग के एक लाख अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों के कठिन परिश्रम और समर्पण भाव के कारण शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है।