मंगलवारी चतुर्थी पर करेंगे यह काम तो मिल सकती है कर्ज से मुक्ति

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आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक – 22 नवंबर 2021

दिन – सोमवार

विक्रम संवत – 2078

शक संवत -1943

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – हेमंत

मास – मार्ग शीर्ष मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार कार्तिक)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – तृतीया रात्रि 10:26 तक तत्पश्चात चतुर्थी

नक्षत्र – मृगशिरा सुबह 10:44 तक तत्पश्चात आर्द्रा

योग – साध्य सुबह 06:46 तक तत्पश्चात शुभ

राहुकाल – सुबह 08:16 से सुबह 09:39 तक

सूर्योदय – 06:54

सूर्यास्त – 17:54

दिशाशूल – पूर्व दिशा में

विशेष –

तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए

23 नवम्बर 2021 मंगलवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:00)।

शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :

ॐ गं गणपते नमः।

ॐ सोमाय नमः।

मंगलवारी चतुर्थी

अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना। जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है।

बिना नमक का भोजन करें

मंगल देव का मानसिक आह्वान करो

चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें।

कितना भी कर्ज़दार हो, काम धंधे से बेरोजगार हो, रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा।

मंगलवारी चतुर्थी

भारतीय समय के अनुसार 23 नवम्बर 2021 को (सूर्योदय से रात्रि 12:46 तक) चतुर्थी है, इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नामों से सुमिरन करें और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें, शुभ संकल्प करें तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते हैं।

मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार हैं :-

1) ॐ मंगलाय नमः

2) ॐ भूमि पुत्राय नमः

3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः

4) ॐ धन प्रदाय नमः

5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः

6) ॐ महा कायाय नमः

7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः

8) ॐ लोहिताय नमः

9) ॐ लोहिताक्षाय नमः

10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः

11) ॐ धरात्मजाय नमः

12) ॐ भुजाय नमः

13) ॐ भौमाय नमः

14) ॐ भुमिजाय नमः

15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः

16) ॐ अंगारकाय नमः

17) ॐ यमाय नमः

18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः

19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः

20) ॐ वृष्टि हराते नमः

21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः

ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें, फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए।

अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-

भूमि पुत्रो महा तेजा

कुमारो रक्त वस्त्रका

ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम

ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे

हे भूमि पुत्र! महा क्यातेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ।

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