आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 28 फरवरी 2022
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2078
शक संवत -1943
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत ऋतु
मास – फाल्गुन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार- माघ)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – त्रयोदशी 01 मार्च रात्रि 03:16 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – उत्तराषाढा सुबह 07:02 तक तत्पश्चात श्रवण
योग – वरीयान दोपहर 02:26 तक तत्पश्चात परिघ
राहुकाल – सुबह 08:28 से सुबह 09:56 तक
सूर्योदय – 07:01
सूर्यास्त – 18:41
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
सोमप्रदोष व्रत, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
विशेष –
त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
महाशिवरात्रि
1 मार्च 2022 मंगलवार को महाशिवरात्रि है।
शिवरात्रि का व्रत, पूजन, जागरण और उपवास करनेवाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है। (स्कंद पुराण)
शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटानेवाला दूसरा व्रत नहीं है। इसको करने मात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है। (शिव पुराण)
शिवरात्रि के दिन करने योग्य विशेष बातें
१. शिवरात्रि के दिन की शुरुआत ये श्लोक बोल के शुरू करें :-
देव देव महादेव नीलकंठ नमोस्तुते।
कर्तुम इच्छा म्याहम प्रोक्तं, शिवरात्रि व्रतं तव।
2. काल सर्प के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर पिसी हल्दी से स्वस्तिक बना देना। शिवलिंग पर दूध और बिल्व पत्र चढ़ाकर जप करना और रात को ईशान कोण में मुख करके जप करना।
3. शिवरात्रि के दिन ईशान कोण में मुख करके जप करने की महिमा विशेष है, क्योंकि ईशान के स्वामी शिव जी हैं।
रात को जप करें, ईशान को दिया जलाकर पूर्व के तरफ रखें , लेकिन हमारा मुख ईशान में हो तो विशेष लाभ होगा। जप करते समय झोका आये तो खड़े होकर जप करना।
4. महाशिवरात्रि को कोई मंदिर में जाकर शिवजी पर दूध चढाते हैं तो ये ५ मंत्र बोलें :-
ॐ हरये नमः
ॐ महेश्वराए नमः
ॐ शूलपानायाय नमः
ॐ पिनाकपनाये नमः
ॐ पशुपतये नमः
महाशिवरात्रिः कल्याणमयी रात्रि
स्कन्द पुराण’ के ब्रह्मोत्तर खंड में आता है कि ‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है। उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और दुर्लभ है। लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वसिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं। इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है।
शिव’ से तात्पर्य है ‘कल्याण’ अर्थात् यह रात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है। इस रात्रि में जागरण करते हुए ॐ नमः शिवाय। इस प्रकार, प्लुत जप करें, मशीन की नाईं जप पूजा न करें, जप में जल्दबाजी न हो। बीच-बीच में आत्मविश्रान्ति मिलती जाय। इसका बड़ा हितकारी प्रभाव अदभुत लाभ होता है।
शिवपूजा में वस्तुओं का कोई महत्त्व नहीं है, भावना का महत्त्व है। भावे ही विद्यते देव। चाहे जंगल या मरूभूमि में क्यों न हो, वहाँ रेती या मिट्टी के शिवजी बना लिये, उस पर पानी के छींटे मार दिये, जंगली फूल तोड़कर धर दिये और मुँह से ही नाद बजा दिया तो शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं।
आराधना का एक तरीका यह है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाय।
दूसरा तरीका यह है कि मानसिक पूजा की जाय। हम मन-ही-मन भावना करें-
ज्योतिर्मात्रस्वरूपाय निर्मलज्ञानचक्षुषे।
नमः शिवाय शान्ताय ब्रह्मणे लिंगमूर्तये।।
ज्योतिमात्र (ज्ञानज्योति अर्थात् सच्चिदानंद, साक्षी) जिनका स्वरूप है, निर्मल ज्ञान ही जिनका नेत्र है, जो लिंगस्वरूप ब्रह्म है, उन परम शांत कल्याणमय भगवान शिव को नमस्कार है।
महाशिवरात्रि की रात्रि में ॐ बं, बं, बीजमंत्र के सवा लाख जप से गठिया जैसे वायु विकारों से छुटकारा मिलता है।
शिवरात्रि की रात ‘ॐ नमः शिवाय’ जप
शिवजी का पत्रम-पुष्पम् से पूजन करके मन से मन का संतोष करें, फिर ॐ नमः शिवाय,।ॐ नमः शिवाय, शांति से जप करते गये। इस जप का बड़ा भारी महत्त्व है।
अमुक मंत्र की अमुक प्रकार की रात्रि को शांत अवस्था में, जब वायुवेग न हो आप सौ माला जप करते हैं तो आपको कुछ-न-कुछ दिव्य अनुभव होंगे। अगर वायु-संबंधी बीमारी हैं तो ‘बं बं बं बं बं’ सवा लाख जप करते हो तो अस्सी प्रकार की वायु-संबंधी बीमारियाँ गायब।
ॐ नमः शिवाय मंत्र तो सब बोलते हैं लेकिन इसका छंद कौन सा है, इसके ऋषि कौन हैं, इसके देवता कौन हैं, इसका बीज क्या है, इसकी शक्ति क्या है, इसका कीलक क्या है –
यह मैं बता देता हूँ। अथ ॐ नमः शिवाय मंत्र।
वामदेव ऋषिः। पंक्तिः छंदः। शिवो देवता। ॐ बीजम्। नमः शक्तिः। शिवाय कीलकम्। अर्थात् ॐ नमः शिवाय का कीलक है ‘शिवाय’, ‘नमः’ है शक्ति, ॐ है बीज।
हम इस उद्देश्य से (मन ही मन अपना उद्देश्य बोलें) शिवजी का मंत्र जप रहे हैं – ऐसा संकल्प करके जप किया जाय तो उस संकल्प की पूर्ति में मंत्र की शक्ति काम देगी।