हमीरपुर। केंद्र सरकार के कॉर्पोरेट सेक्टर से वफादारियों व जनता के साथ लगातार चल रही गद्दारियों के बीच अब पेट्रोल 100 का आंकड़ा छूने लगा है। मुंबई में पेट्रोल की कीमत 94 रुपए 36 पैसे हो चुकी है, जबकि दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल 88 रुपए के करीब पहुंच गया है।
लोकतंत्र को लूटतंत्र बना चुकी सरकार ने पेट्रोल की कीमतों को बाजार के हवाले कर दिया है और जनता अब पेट्रोलियम कंपनियों के रहमोकरम पर है। वह जितना लूटें जैसे लूटें सरकार ने कह दिया है कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है।
राणा ने कहा कि यह उसी पार्टी की सरकार है जो कांग्रेस कार्यकाल में पेट्रोल की कीमत चार आने बढऩे पर सड़कों पर उतरकर रोज हंगामे करती थी और अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेलों का हवाला देकर जनता को गुमराह करती थी लेकिन अब पेट्रोल की कीमतों पर लोकतंत्र को लूटतंत्र बना चुकी सरकार पेट्रोल की कीमतों पर मूक और मौन है।
बेरोजगारी व महंगाई से तंग आ चुकी जनता अब इस लूट तंत्र का लगातार शिकार हो रही है। लेकिन देश का दुर्भाग्य यह है कि जनता द्वारा अर्जित टैक्स का प्रबंधन जनादेश देकर जनता ने जिस पार्टी के हवाले किया है वह पार्टी अब जनता को छोड़कर कॉर्पोरेट सेक्टर की हिमायती बन कर उनकी पैरवी कर रही है।
देश में सरकारी उपक्रम ऑन सेल हैं। सरकार की तानाशाही के चलते अब कृषि उत्पादों पर भी कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। जिसके कारण देश का किसान सड़कों पर हाल-बेहाल है।
सिस्टम से आज जनता का भरोसा उठ चुका है। सत्ता की तानाशाही में मीडिया व विपक्ष को पंगु बनाकर रख दिया है। देश हित में जनता की आवाज उठाने वाले लोगों को देशद्रोही करार दिया जा रहा है। राणा ने कहा कि अगर यही आलम रहा तो आम आदमी का जीना दुश्वार हो जाएगा।