शिमला। स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को विशेष रूप से एस्ट्राजेनेका आक्सफोर्ड वैक्सीन (कोविशील्ड) के टीकाकरण के बाद एम्बोलिक और थ्रोम्बोटिक घटनाओं के बारे में परामर्श जारी किए गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि टीकाकरण के बाद की प्रतिकूल घटनाओं, विशेष रूप से कोविडशील्ड के संबंध में व्यक्त की गई आशंकाओं के बारे में भारत सरकार द्वारा गहन विश्लेषण के बाद स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदाताओं को थ्रोम्बिसिस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) जो कि कोविड-19 के टीकाकरण के बाद होता है के निदान और उपचार के लिए दो परामर्श जारी किए गए हैं।
टीकाकरण के लाभार्थियों को समय पर स्वास्थ्य प्रणाली में टीटीएस की रिपोर्टिंग तथा चिकित्सा सहायता लेने के लिए परामर्श दिया गया है।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जारी परामर्श के अनुसार यह निर्देश दिया गया है कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर टीटीएस के संकेतों और लक्षणों के प्रति सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध मामले की जांच करने में सक्षम हों और इन मामलों को आगे नैदानिक प्रबंधन के लिए तृतीयक देखभाल अस्पताल में रेफर करें।
उन्होंने बताया कि कोविशील्ड के लाभार्थियों को सांस की तकलीफ, सीने में दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे या अंगों में दर्द, पेट दर्द, दौरे, सिरदर्द, कमजोरी और अंगों के पक्षाघात, धुंधली दृष्टि और कोई अन्य लक्षणों के बारे में टीकाकरण के 20 दिनों बाद तक सतर्क रहना चाहिए।
टीकाकरण लाभार्थी को इस प्रकार के कोई लक्षण सामने आने पर चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए तुरंत स्वास्थ्य सुविधा में रिपोर्ट करना चाहिए।