शिमला सनातन काल से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति भारतीय जीवनशैली में रची-बसी है। आयुर्वेद के माध्यम से जटिल एवं असाध्य रोगों का निवारण सम्भव है। आयुर्वेद की इसी विशेषता को वर्तमान कोविड-19 महामारी के समय में रोगियों के हित में प्रयोग किया जा रहा है।
कोविड-19 महामारी से लड़ने में योग एवं आयुर्वेद तथा आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपेथी पूर्ण समन्वय के साथ कार्यरत हैं। राज्य में कोविड-19 महामारी के कारण अपने आवास पर एकान्त समय बिता रहे रोगियों को निरोग रहने की कला में योग एवं आयुर्वेद द्वारा पारंगत बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की परिकल्पना को इस दिशा में प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुष मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने मूर्त रूप दिया है। जन-जन को स्वस्थ रखने का यह विचार आयुष घर द्वार कार्यक्रम के रूप में कोरोना संक्रमित रोगियों का संबल बन चुका है।
प्रदेश के आयुष मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने जब 14 मई, 2021 को सोलन जिला से इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया तब सोच बड़ी स्पष्ट थी कि जन-जन की जीवनशैली में समाहित आयुर्वेद एवं योग को सरल माध्यम से कोरोना संक्रमित रोगियों तक पहुंचाया जाए।
आयुष घर द्वार की सफलता के लिए आर्ट आफ लिविंग जैसी विश्वस्तरीय संस्था के प्रदेश में कार्यरत योग्य योग प्रशिक्षकों के सान्निध्य में सरल योग अभ्यास की ऐसी श्रृखंला आरम्भ की गई जो कोविड-19 महामारी से जूझ रहे रोगियों की जीवन रेखा बनी।
प्रदेश सरकार ने अपने-अपने आवास पर आइसोलेट कोविड-19 संक्रमित रोगियों तक आयुष घर द्वार का लाभ पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों को चुना ताकि घर पर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे रोगी बिना किसी परेशानी के अपने स्मार्ट फोन के माध्यम से कार्यक्रम से जुड़ सकें।
आयुष घर द्वार कार्यक्रम का उद्देश्य लगभग 30 हजार होम आइसोलेटिड कोरोना संक्रमित रोगियों को वर्चुअल माध्यम से योग एवं प्राणायाम से जोड़ना और उन्हें दीर्घावधि में स्वस्थ रखना है।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपेथी और किसी न किसी रूप में जन-जन की जीवनशैली का अभिन्न अंग रही आयुष पद्धति ने कोविड-19 पाॅजिटिव रोगियों को पूर्ण रूप से स्वस्थ करने में विशिष्ट भूमिका निभाई।
वर्तमान में प्रदेश में घर पर में रह रहे कोविड-19 पाॅजिटिव रोगियों की संख्या घटकर लगभग 16 हजार रह गई है। इन 16 हजार कोविड-19 पाॅजिटिव रोगियों को आयुष घर द्वार कार्यक्रम के माध्यम से लाभान्वित करने के लिए व्हाट्सऐप, जूम जैसे सोशल मीडिया ऐप पर प्रदेश में 985 वर्चुअल समूह बनाए गए हैं। इन वर्चुअल समूहों के माध्यम से 16303 रोगी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
आयुष घर द्वार के तहत कांगड़ा जिला में 249 वर्चुअल समूहों के माध्यम से 2836 कोरोना संक्रमित, मण्डी जिला में 138 वर्चुअल समूहों के माध्यम से 1992 रोगी, चम्बा जिला में 117 समूहों के माध्यम से 1145 रोगी, हमीरपुर जिला में 83 वर्चुअल समूहों के माध्यम से 1688 रोगी, सोलन जिला में 79 समूहों के माध्यम से 2970 रोगी, बिलासपुर जिला में 70 समूहों के माध्यम से 1222 रोगी, ऊना जिला में 67 समूहों के माध्यम से 1262 रोगी, सिरमौर जिला में 65 वर्चुअल समूहों के माध्यम से 1650 रोगी, शिमला जिला में 61 समूहों के माध्यम से 681 रोगी, कुल्लू जिला में 28 समूहों के माध्यम से 644 रोगी, किन्नौर जिला में 20 समूहों के माध्यम से 120 रोगी तथा लाहौल-स्पीति जिला में 08 वर्चुअल समूहों के माध्यम से 93 कोरोना पाॅजिटिव रोगी लाभान्वित हो रहे हैं।
आयुष घरद्वार कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य योग एवं आयुर्वेद के माध्यम से कोरोना संक्रमित रोगियों के स्वस्थ होने की दर को बढ़ाना, उनके जीवन स्तर में सुधार करना, मृत्यु दर को कम करना, संक्रमण दर को घटाना, कोविड के गम्भीर दुष्प्रभावों को कम करना एवं तदोपरान्त रोगियों का बेहतर पुनर्वास सुनिश्चित बनाना है।
आयुष घर द्वार कार्यक्रम बहुत कम समय में रोगियों का संबल प्रदाता बनकर उभरा है। इसके माध्यम से कोविड संक्रमण दर को कम करने में सहायता भी प्राप्त हो रही है।