आयुष विभाग द्वारा ड्रग इंस्पेक्टर और जिला निरीक्षण अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के आयुष विभाग द्वारा परिमहल (SIHFW) शिमला में ड्रग इंस्पेक्टर और जिला निरीक्षण अधिकारियों के लिए तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

इस कार्यशाला में लगभग 32 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। यह कार्यशाला 23 से 25 जुलाई तक आयोजित की जा रही है और इसमें 8 सत्र हैं, जिनमें प्रतिष्ठित संसाधन व्यक्तियों द्वारा व्याख्यान दिए जाएंगे।

सचिव आयुष कदम संदीप वसंत ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।

आयुष निदेशक डॉ निपुण जिंदल ने कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में सचिव आयुष का स्वागत करते हुए इस कार्यशाला के महत्व और आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि इस प्रकार की कार्यशालाओं का उद्देश्य अधिकारियों को अद्यतन जानकारी और कौशल प्रदान करना है ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को और अधिक प्रभावी ढंग से निभा सकें।

उन्होंने कहा कि आयुष उद्योग में वर्तमान में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि निकट भविष्य में, इस उद्योग का कारोबार और भी बढ़ सकता है, संभावित रूप से अगले पांच वर्षों में 20-25% की वृद्धि दर के साथ।

आयुष उत्पादों और सेवाओं की बढ़ती मांग, विशेषकर आयुर्वेदिक,‌और होम्योपैथिक प्रणालियों में लोगों का बढ़ता रुझान, इस वृद्धि का प्रमुख कारण है। लोग अब प्राकृतिक और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

इसके अलावा, सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों ने भी आयुष उद्योग को प्रोत्साहित किया है, जिससे इसके विस्तार में मदद मिली है।

निदेशक आयुष डॉ निपुण जिंदल ने जोर देकर कहा कि गुणवत्ता पूर्ण दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में ड्रग इंस्पेक्टरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आयुष सचिव, श्री कदम संदीप वसंत, आईएएस ने भी इस अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अधिनियम और नियमों का पालन करें ताकि राज्य में लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध हो सकें।

कदम ने कहा कि इस कार्यशाला से न केवल प्रतिभागियों के ज्ञान में वृद्धि होगी, बल्कि वे अपने कार्यक्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में भी सक्षम होंगे। इस प्रकार की कार्यशालाएं अधिकारियों और निरीक्षकों को उद्योग की नवीनतम प्रवृत्तियों और मानकों से अवगत कराती हैं, जिससे वे अपने कार्यक्षेत्र में और भी प्रभावी हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, न केवल उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि उद्योग का समग्र कारोबार भी बढ़ेगा।

उप निदेशक, डॉ प्रभाकर मिश्रा ने कार्यशाला के सत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सत्र को ध्यानपूर्वक डिजाइन किया गया है ताकि प्रतिभागियों को आवश्यक ज्ञान और कौशल प्राप्त हो सके।

डॉ मिश्रा ने बताया कि कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर व्याख्यान और चर्चा सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें ड्रग निरीक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण, कानूनी ढांचे और अनुपालन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

इस अवसर पर अतिरिक्त निदेशक आयुष डॉ अमित गुलेरिया भी उपस्थित रहे।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग से अभिषेक और प्रीति, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक डॉ तेजस्वी आज़ाद, सेवानिवृत्त उप निदेशक डॉ सुंदर शर्मा और आयुष विभाग के उप निदेशक डॉ राजेश शर्मा और डॉ प्रभाकर मिश्रा रिसोर्स पर्सन के रूप में भाग ले रहे हैं।

यह विशेषज्ञ विभिन्न मुद्दों पर अपने अनुभव और ज्ञान साझा करेंगे और प्रतिभागियों की शंकाओं का निवारण करेंगे।

कार्यशाला का उद्देश्य अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना और राज्य में दवाइयों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है।

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