कर्मचारियों के हितों को सत्ता के गरूर में न कुचले सरकार : राणा

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हमीरपुर। प्रदेश के कर्मचारियों के प्रति सरकार का तानाशाह रवैया जहां एक ओर लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ है वहीं संविधान के अनुरूप भी नहीं है। यह बता विधानसभा सदन से लौटे प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक सुजानपुर राजेंद्र राणा ने हमीरपुर में कही।

उन्होंने कहा कि हर मोर्चे पर फेल और फ्लॉप सरकार ने तानाशाही की राह पर चलते हुए कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन व हड़ताल पर रोक लगाने का तुगलकी फरमान जारी किया है।

राणा ने कहा कि लोकतंत्र में अपने हकों और हितों के लिए धरना प्रदर्शन करना कर्मचारियों का ही नहीं बल्कि प्रदेश के हर वर्ग का मौलिक संविधानिक अधिकार है।

प्रदेश सरकार के खिलाफ अगर कर्मचारियों के साथ अन्य कई वर्ग मुखर हो रहे हैं तो बीजेपी सरकार आत्म अवलोकन करे न कि सत्ता के चाबुक से इन वर्गों को आहत व प्रताडि़त करे।

सत्ता के गरूर में वेतन काटना व सस्पेंड करना बेहद आसान है लेकिन कर्मचारियों के हितों को पोषित करना लोकतंत्र में चुनी हुई सरकारों का फर्ज और कर्ज है।

सरकार यह न भूले कि हिमाचल प्रदेश में हर घर से कोई न कोई कर्मचारी है और उन कर्मचारियों पर उनके परिवारों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी है। अगर सरकार कर्मचारियों के हितों को कुचलने का प्रयास करती है तो करीब-करीब प्रदेश की समूची आबादी इससे प्रभावित हो रही है।

राणा ने कहा कि अगर राजस्थान की कांग्रेस सरकार कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ दे सकती है तो हिमाचल सरकार क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि ओपीएस का फैसला देर-सवेर सरकार को लागु करना होगा। अगर फिर भी सरकार अपने अडियल रुख पर कायम रहती है तो कांग्रेस सत्ता में आते ही इस फैसले को लागु करेगी।

उन्होंने कहा कि ओपीएस से जहां एक ओर सामाजिक सुरक्षा मिलने का आश्वासन मिलता है, वहीं दूसरी ओर समाज को तनाव मुक्त जीवनयापन का साधन मिलता है।

राणा ने कहा कि 2003 में जब केंद्र में बीजेपी सरकार आई थी तभी से कर्मचारियों की पेंशन बंद कर दी गई थी। जो कि न केवल गलत बल्कि जनता व कर्मचारियों के प्रति उठाया गया अन्यायपूर्ण कदम है।

उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि हर वर्ग के साथ अब केंद्र की राह पर चल रही बीजेपी की तानाशाही को कर्मचारियों व जनता के कोप का भाजन बनना पड़ेगा।

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