प्रदेश में ढाई सौ करोड़ की लागत से कांगडा़ जिला में विशाल चिड़ियाघर बनाने की प्रक्रिया हुई तेज

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शिमला। प्रदेश में लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये की लागत से कांगडा़ जिला में बडा चिड़ियाघर बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है जिसकेे लिए वन विभाग ने 190 हैक्टेयर भूमि का चयन कर लिया है।

इस सन्दर्भ में हिमाचल प्रदेश सरकार ने गत तीन मई को एक अधिसूचना जारी कर प्रधान मुख्य अरण्यपाल ( वन्यप्राणी) प्रदेश की अघ्यक्षता में चिडियाघर को बनाने के लिए एक संचालन समिति का गठन किया है।

राजीव कुमार प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन्य प्राणी) की अध्यक्षता में इस संचालन समीति ने 27 मई को बनखंडी में चयनित स्थल का दौरा किया और सलाहकार पंकज जैन ने उपरोक्त चिड़ियाघर के निर्माण से सम्बंधित अंतिम रूप रेखा (मास्टर लेआऊट) पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

उसके बाद धर्मशाला में संचालन समिति ने धमर्शाला में चिड़ियाघर के मास्टर लेआऊट पर गहन मंथन किया और चर्चा के बाद अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिसमें बनखंडी में प्रस्तावित स्थल को उपरोक्त चिड़ियाघर के निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया।

उपरोक्त चिड़ियाघर घर की कार्य योजना और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में जानवरों के संग्रहण, कार्मिक योजना और बजट के प्रावधानों को शामिल करने, चट्टानी स्थल के लिए विस्तृत पुनर्वास योजना तैयार करने, सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करने के बाद प्रस्तावित स्थल से बिजली की एचटी लाईनों को स्थानांतरित करने, प्रस्तावित स्थल से गुजरने वाली पानी की पाईपों को भी भूमिगत करने, सड़कों का निर्माण जानवरों के लिए पिंजरों की आवाजाही के लिए, चटटानों को मिटटी व हरी धास से ढकने आदि निर्णय लिए गये।

इसके अतिररिक्त प्रस्तावित क्षेत्र के आस-पास उगने वाले पौधों के लिए एक पौधशाला बनाने की योजना भी तैयार की जाएगी।

राजीव कुमार ने कहा कि प्रस्तावित स्थल को प्रभावित करने वाले भू-भागों में भूमिगत रास्ते बनाने हेतू राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण से आग्रह किया जाएगा।

उन्होंने बैठक के दौरान यह जानकारी भी दी कि उपरोक्त चिड़ियाघर में कुल जानवरों की तुलना में मात्र 25 प्रतिशत जानवर ही विदेशी प्रजाति के होंगे और जानवरों के संग्रहण की योजना इस प्रकार से बनाई जाएगी कि विभिन्न पिंजरों में एक जैसे जानवरों की पुनरावृत्ति न हो।

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