आज देवभूमि वापस लौटी प्रतिनिधि टीम
शिमला। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला ने 15 से 17 नवंबर तक गुरुग्राम के एसजीटी विश्वविद्यालय में आयोजित विजन फॉर विकसित भारत (विविभा 2024) में अपनी सक्रिय भागीदारी के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा के संवर्धन में सहयोग किया।
यह आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन था, जिसमें शोधार्थियों, शिक्षकों, और विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संस्थान की टीम ने स्टॉल नंबर 14 और 15 पर अपने शोध और प्रकाशनों का प्रदर्शन किया।
सम्मेलन में निदेशक प्रो राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक शोध के समन्वय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने भारतीय शोध की मौलिकता और उसकी वर्तमान प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
उनके नेतृत्व में, संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक ने टीम का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया।
इस पूरे कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, योग गुरु बाबा रामदेव, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय पदाधिकारी एवं टीम के सदस्य उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश के वे रिसर्च स्कॉलर, जिनके आलेखों को श्रेष्ठ शोध आलेखों में शामिल किया गया था, उन्हें भी इस कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।
इस आयोजन में देशभर से लगभग 1,59,000 पंजीकरण हुए थे, जिनमें से 1,200 सर्वश्रेष्ठ शोधार्थियों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के स्टॉल ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को आकर्षित किया। इस प्रदर्शनी में संस्थान की हालिया उपलब्धियों और प्रकाशनों को प्रदर्शित किया गया।
प्रतिभागियों ने संस्थान के पुस्तकालय, शोध पद्धतियों, और भारतीय अध्ययन के बहुआयामी दृष्टिकोण की सराहना की। साथ ही इस कार्यक्रम में आए हुए विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों के छात्र संस्थान में हुए शोध कार्यों से उच्च अध्ययन की प्रति जागरूक भी हुए।
प्रतिनिधियों ने संस्थान की टीम के साथ संवाद स्थापित किया और इसके अकादमिक योगदान की सराहना की। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सत्रों में “शिक्षा, ग्रामीण विकास, और भारतीय ज्ञान परंपरा” जैसे विषयों पर चर्चाएं हुईं। संस्थान की टीम ने इन सत्रों में भाग लिया और अपने विचार साझा किए।
प्रो राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने कहा, “विविभा 2024 जैसे आयोजनों के माध्यम से हम भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर सकते हैं। यह हमारे शोधार्थियों और शिक्षाविदों के लिए एक प्रेरणा है, जिससे वे उन्नत भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।”
संस्थान के प्रतिनिधियों ने अन्य वक्ताओं और प्रदर्शनी के आयोजकों के साथ विचार-विमर्श किया और इस आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई।
संस्थान की टीम आज देवभूमि हिमाचल प्रदेश स्थित शिमला लौट चुकी है। यह सम्मेलन भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के लिए ज्ञानवर्धन और नेटवर्किंग का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुआ।
संस्थान के स्टॉल नंबर 14 और 15 पर प्रतिभागियों ने भारतीय संस्कृति और शिक्षा के विविध पहलुओं को समझा। सम्मेलन में संस्थान के प्रकाशित शोध कार्यों को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया, जिन्होंने भारतीय मानविकी और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
यह आयोजन भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जो भारतीय संस्कृति, शिक्षा और शोध को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर प्रयासरत है।