शिमला। पूरे प्रदेश में कल यानि 20 अगस्त को एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहेंगी। स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स आईजीएमसी एंड जीडीसी शिमला ( SAMDCOT ) ने 20 अगस्त को भी ओपीडी सेवाएं बंद रखने का निर्णय लिया है।
स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स आईजीएमसी एंड जीडीसी शिमला ( SAMDCOT ) के अध्यक्ष डॉ बलबीर सिंह वर्मा ने बताया कि 20 अगस्त को भी प्रोटेस्ट करने का निर्णय लिया है जिसके चलते कल ओपीडी पूरी तरह बंद रहेगी। अस्पतालों में केवल आपातकालीन सेवाएं ही मिलेंगी।
ओपीडी और वैकल्पिक ऑपरेशन थिएटर कल काम नहीं करेंगे, हालाँकि आपातकालीन सेवाएँ प्रभावित नहीं होंगी और निर्धारित समय के अनुसार चलेंगी।
इससे मंगलवार को प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी और चम्याणा में स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ेगा।
स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स आईजीएमसी एंड जीडीसी शिमला ( SAMDCOT ) आरजी कर मेडिकल कॉलेज, कोलकाता में हुई भयावह घटना के खिलाफ एकजुटता से खड़ा है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में हिमाचल प्रदेश मेडिकेयर सेवा व्यक्तियों और मेडिकेयर सेवा संस्थानों (हिंसा और संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) संशोधन अधिनियम, 2017 को बिना किसी देरी के अधिसूचित और लागू किया जाना चाहिए।
स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स आईजीएमसी एंड जीडीसी शिमला ( SAMDCOT ) ने सभी स्वास्थ्य संस्थानों, खासकर उन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जहां रात्रि ड्यूटी दी जाती है, में डॉक्टर्स की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
वहीं यदि मांगें पूरी नहीं की गईं तो स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स आईजीएमसी एंड जीडीसी शिमला ( SAMDCOT ) सामूहिक आकस्मिक अवकाश के रूप में विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ाएगा।
वहीं डॉ बलबीर सिंह वर्मा ने बताया कि 20 अगस्त को स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स आईजीएमसी एंड जीडीसी शिमला ( SAMDCOT ) रेजिडेंट डॉक्टर्स और विद्यार्थियों के साथ आईजीएमसी से सचिवालय तक एक शांतिपूर्ण मार्च का आयोजन करेगा। सचिवालय में मांगों का एक ज्ञापन अधिकारियों को सौंपेगा।
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर मामले में पूरे देश में डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे हैं। वह डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।