शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के 53वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज विश्वविद्यालय परिसर में गरिमापूर्ण समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यातिथि राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के साथ शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि बदलते दौर में हमें अपनी सोच में भी परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। शिक्षा को हमें उद्यमिता की ओर ले जाना चाहिए और विश्वविद्यालयों को इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का पाठ्यक्रम समाज की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पहले शैक्षणिक पाठ्यक्रम रोजगार के अनुरूप बनाया जाता था परन्तु वर्तमान में इसका समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप होना अधिक महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल ने कहा कि 53 वर्षों की इस यात्रा में हमें सफलताओं और कमियों के बारे में विश्लेषण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज विद्यार्थी किसी भी संस्थान में दाखिला लेने से पहले उसकी ग्रेडिंग के सम्बंध में जानकारी प्राप्त करता हैै इसलिए विश्वविद्यालय को ग्रेडिंग सुधारने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने शिक्षा में अनुसंधान के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा का व्यापक विस्तार हुआ है।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यहां विश्वविद्यालय की स्थापना शिक्षा के अनुकूल वातावरण देखते हुए की गई थी। उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस के अवसर पर हम सभी को चिन्तन करना चाहिए कि आने वाले वर्षों में हमें किस दिशा में आगे बढ़ना है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास रहा है और देश की अनेक बड़ी हस्तियां और प्रशासक इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने कहा कि वे स्वयं इसी विश्वविद्यालय में पढ़े हैं और विश्वविद्यालय के पहले कानून स्नातक है।
उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाले कई विद्यार्थी आज देश के शीर्ष पदों पर कार्यरत हैं। भारत ने अनुसंस्धान के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, लेकिन हमें व्यवसायिक शिक्षा की दिशा में भी आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के सक्षम नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अनुसंधान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मंडी में सरदार पटेल विश्वविद्यालय स्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी देश का भविष्य हैं उन्हें ऊर्जावान और उज्ज्वल होना चाहिए। यह महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी हमारे शिक्षकों के पर है और प्रधानमंत्री ने शिक्षकों की भूमिका को और ऊंचा किया है। उन्होंने कहा कि विश्व के विकसित देश अपनी मातृभाषा में काम करते हैं, हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि यह नीति भारत को ज्ञान शक्ति बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा जीवन और व्यक्तित्व के निर्माण के लिए होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने सहित विश्वविद्यालय में गुणात्मक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।