शिमला। हिमाचल प्रदेश बागवानी उपज विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (एचपीएमसी) द्वारा 4 अक्तूबर तक तीन संयंत्रों के माध्यम से रिकॉर्ड 1,545 मीट्रिक टन सेब जूस कंसन्ट्रेट का प्रसंस्करण किया है।
शिमला जिला के पराला संयंत्र से 814 मीट्रिक टन, सोलन जिला के परवाणु संयंत्र से 653 मीट्रिक टन और मंडी जिला के जरोल संयंत्र से 78 मीट्रिक टन सेब जूस कंसट्रेट का प्रसंस्करण किया गया है।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि एचपीएमसी खरीदे गए लगभग सभी सेबों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित कर रहा है और बहुत कम संख्या में फलों को नीलामी के माध्यम से बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि खरीद मानकों की अनुपालना करते हुए इस सीजन में खरीदे गए 92 प्रतिशत सेबों का प्रसंस्करण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष एमआईएस के तहत हिमाचल प्रदेश में कुल 29,200 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए हैं। इसमें से एचपीएमसी के 206 खरीद केंद्रों के माध्यम से 19,437 मीट्रिक टन, हिमफेड के 109 केंद्रों के माध्यम से 9,764 मीट्रिक टन सेब खरीदे गए।
हिमाचल प्रदेश में सेब का सीजन जारी है और मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत सेब खरीदे जा रहे हैं तथा खरीद बढ़ने के साथ प्रसंस्करण में भी वृद्धि होने की संभावना है।
एमआईएस के तहत सेब खरीद की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास में, एचपीएमसी ने क्रेटों का उपयोग करके किसानों से 1,219 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है। उन्होंने कहा कि पहली बार चंबा जिले के दूरदराज के क्षेत्र पांगी में भी सेब की खरीद शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएमसी ने एमआईएस में सुधार के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया है और इसके माध्यम से खरीद की प्रक्रिया अब ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से की जाती है।
इसमें खरीद, परिवहन, प्रसंस्करण संयंत्रों में फलों की नीलामी, सीए स्टोर की बुकिंग और सीधे बैंक हस्तांतरण लिंकेज के आंकड़े उपलब्ध होते हैं। इससे सेब उत्पादकों को पारदर्शी तरीके से सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने सेब की बिक्री के लिए यूनिवर्सल कार्टन के उपयोग को अनिवार्य बनाकर सेब उत्पादकों के कल्याण को सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने सीए स्टोर के लिए किराया शुल्क भी 1.90 रुपये से घटाकर 1.60 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है।
बागवानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से एचपीएमसी ने सेब उत्पादकों को प्रदान किए जाने वाले कीटनाशकों और उर्वरकों के लाभ मार्जिन को 15 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार किन्नौर जिला के टापरी में जियोथर्मल कोल्ड स्टोर बनाने की योजना बना रही है। इस कोल्ड स्टोर की अगले वर्ष आरम्भ होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि एचपीएमसी ने अपनी प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि की है, पिछले वर्ष की 21,000 मीट्रिक टन की तुलना में क्रशिंग क्षमता में इस वर्ष 39,000 मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की गई है।
इसके अतिरिक्त, ग्रेडिंग और पैकेजिंग क्षमता 15,900 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 33,900 मीट्रिक टन हो गई है। पराला और जरोल की वाइन इकाइयों की संयुक्त वार्षिक क्षमता 1.50 लाख लीटर है।
पराला में एक नई सिरका इकाई की वार्षिक क्षमता 50,000 लीटर है, जबकि पराला में एक नई पेक्टिन इकाई प्रति दिन 1.2 मीट्रिक टन उत्पादन कर सकती है और रेडी टू सर्व जूस इकाई की दैनिक क्षमता 20,000 लीटर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएमसी देश में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए भारतीय वितरकों को शामिल कर रही हैं। एचपीएमसी ने दिल्ली मेट्रो स्टेशनों और देश भर के अन्य प्रमुख स्थानों पर नए खुदरा आउटलेट खोलकर बाजार में सफलतापूर्वक अपनी उपस्थिति दर्ज की है।