हिमाचल। प्रदेश सरकार ने अगले पांच वर्षों में कांगड़ा चाय के उत्पादन को दुगना करने का लक्ष्य रखा है। राज्य में वर्ष 2021-2022 में 10,01,419 किलोग्राम चाय का उत्पादन रिकाड दर्ज किया गया है तथा राज्य में आगामी पांच वर्षों में 20,00,000 किलोग्राम कांगड़ा चाय उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
इस समय राज्य के 2310.71 हैक्टेयर क्षेत्र में धौलाधार, पर्वतीय क्षेत्रों में धर्मशाला, शाहपुर, नगरोटा बगवां, पालमपुर, जैसिंगपुर, बैजनाथ व जोगिन्द्रनगर क्षेत्रों में चाय की पैदावार की जाती है।
राज्य के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि कांगड़ा चाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्रदान करने के लिए सरकार ने पर्यटन सीज़न के दौरान मनाली, शिमला, डलहौजी आदि लोकप्रिय पर्यटक स्थलों पर कांगड़ा टी-फैस्टिवल आयोजित करने का फैसला किया है।
राज्य सरकार ने दिसंबर 2021 में पहली बार पालमपुर में चाय उत्सव का आयोजन किया। जिसमें 400 चाय बागवानों ने हिस्सा लिया। राज्य में वर्ष 2021-22 के दौरान 5. 6 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को चाय बगानों के अर्न्तगत कवर किया गया तथा आगामी पांच वर्षों में लगभग 100 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्रों को चाय बागानों के अर्न्तगत लाने का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि पिदले वित्त वर्ष के दौरान चाय उद्योग ने 20 करोड़ रुपये की आर्थिक हिस्सेदारी प्रदान की तथा इस समय चाय उद्योग में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से लगभग पांच हज़ार लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध करवाये गये हैं।
कांगड़ा चाय मुख्यतः कोलकत्ता के थोक चाय व्यापारियों के माध्यम से विदेशों में निर्यात की जाती है। राज्य में पैदा होने वाली चाय की 10 प्रतिशत खपत राज्य में की जाती है जबकि बाकी 90 प्रतिशत चाय कोलकत्ता में नीलाम की जाती है।
वीरेंद्र कंवर ने बताया कि वर्ष 2021-2022 के दौरान 4000 किलोग्राम कांगड़ा चाय हिमाचल प्रदेश से सीधे जर्मनी, इंग्लैंड, रूस तथा फ्रांस को निर्यात की गई।
आगामी वर्षों के दौरान राज्य में उत्पादित बीस प्रतिशत कांगड़ा चाय को प्रति वर्ष हिमाचल प्रदेश से सीधे विदेशों में निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है।
कंवर ने बताया कि राज्य में इस समय 5900 परिवार चाय उत्पादन से जुड़े हैं तथा इनमें से 95 फीसदी परिवारों के पास 0.5 हैक्टेयर से कम भूमि पर चाय के बागान हैं।
राज्य में 21 बड़े चाय बागवान परिवार हैं जिनके पास 10 हैक्टेयर क्षेत्रफल चाय बागवान हैं जबकि 237 चाय बागवनों के पास औसतन एक हैक्टेयर से दस हैक्टेयर क्षेत्रफल के चाय बागवान हैं।
सी एस के कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर द्वारा मालान, कांगड़ा, बाड़ा, सुन्दरनगर, बरठीं, बजौरा तथा धौलाकुआं जैसे गैर चाय उत्पादन क्षेत्रों में प्रायोगिक आधार पर 800 चाय पौधों का रोपण किया गया ताकि नए क्षेत्रों में चाय उत्पादन की संभावनाओं को तलाशा जा सके।
कृषि मंत्री ने बताया कि वर्तमान चाय बागानों में इन्फिलिंग तथा नए क्षेत्रों में चाय पौधारोपण के लिए कृषि विभग सामान्य परिवारों को दो रुपये प्रति पौधे की दर से चाय के पौधे उपलब्ध करवा रहा है जबकि अनुसूचित जाति के परिबारों के लिए एक रुपया प्रति पौधा प्रदान किया जा रहा है।
राज्य में अतिरिक्त क्षेत्र को चाय बागानों के अर्न्तगत लाने के चाय नर्सरी पालमपुर में चालू वित्त वर्ष के दौरान 1.5 लाख चाय की पौधे उगाने का लक्ष्य रखा गया राज्य सरकार चाय के तुड़ान/छंटाई में प्रयोग आने वाले उपकरणों पर पचास प्रतिशत उपदान प्रदान करेगी ताकि चाय बागवानों की बाहरी मजदूरों पर निर्भरता कम की जा सके।
पिछले वर्ष के दौरान कोलकत्ता निलामी बाजार में कांगड़ा चाय का मूल्य 160/- रुपये प्रति किलोग्राम रहा जबकि हिमाचली बाजारों में कांगड़ा चाय 400 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकी।
कृषि विभाग तथा सीएसके कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर द्वारा चाय बागवानों को चाय उत्पादन से जुड़े विषयों पर नवीनतम तकनीकी एवं वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।