शिमला। उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी की अध्यक्षता में यहां बचत भवन में जिला पर्यावरण योजना की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया।
उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता हिमाचल प्रदेश को प्रथम हरित राज्य बनाने की है और इस दिशा में सभी अधिकारी आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करे ताकि प्रदेश सरकार के लक्ष्य की प्राप्ति हो सके।
उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत जिला की 118 पंचायतों, नगर निगम शिमला, 7 नगर पंचायतों एवं 3 नगर परिषदों में पृथक्करण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला के ग्रामीण क्षेत्रों की अन्य पंचायतों में भी कचरा प्रबंधन के लिए कार्य करने की आवश्यकता है।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में आवश्यक कार्य करने के भी निर्देश दिए।
उपायुक्त ने कहा कि कचरा प्रबंधन के अंतर्गत सभी संबंधित अधिकारी अपने कार्य का निष्पादन सही तरीके से करें ताकि लोगों के स्वास्थ्य के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ न हो।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को फील्ड का सही डाटा प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए ताकि वहां की वास्तविक स्थिति का पता लग सके।
उन्होंने कहा कि माइनिंग गतिविधियों के लिए जिला में 55 लाइसेंस जारी किए गए है। अवैध खनन के संदर्भ में पुलिस विभाग द्वारा 343 के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जल गुणवत्ता प्रबंधन, औद्योगिक जल अपशिष्ट, हवा गुणवत्ता, खनन गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए समय-समय पर निरिक्षण करें ताकि इस संदर्भ में किसी भी प्रकार का उल्लंघन न हो।
उन्होंने कहा कि जिला के 4 स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण के लिए ध्वनि स्तर मीटर की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त जिला में 24 स्थानों को साइलेंस जोन चिन्हित किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला में पिछली तिमाही में पुलिस विभाग द्वारा ध्वनि प्रदूषण के 95 चालान किए गए है।
उन्होंने कहा कि एकल उपयोग प्लास्टिक के तहत जिला में जुलाई 2022 से अब तक 1104 निरीक्षण किए गए है जिसमें 71 उल्लंघन करके वालों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई गई है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति अलग-अलग मद के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया जाए ताकि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को सही जानकारी प्रदान हो सके।
उन्होंने अधिकारियों को जिला में पर्यावरण के संदर्भ में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए ताकि जिला को प्रदूषण मुक्त किया जा सके।