आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक 16 जुलाई 2021
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ़
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी सुबह 06:06 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – हस्त 17 जुलाई रात्रि 02:37 तक तत्पश्चात चित्रा
योग – परिघ सुबह 09:43 तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल – सुबह 11:05 से दोपहर 12:45 तक
सूर्योदय – 06:06
सूर्यास्त – 19:22
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
विवस्वत सप्तमी, संक्रांति (पुण्यकाल सूर्योदय से शाम 04:55 तक), सप्तमी क्षय तिथि
विशेष –
षष्ठी को नीम की पत्ती,
फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
लक्ष्मी प्राप्ति में सावधानी
फूलों को पैरो तले नहीं आने देना चाहिए, अन्यथा लक्ष्मीजी नाराज़ हो जाती हैं।
वास्तु शास्त्र
11 जुलाई से 18 जुलाई तक गुप्त नवरात्रि पर्व है। इस दौरान देवी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है।
वास्तु में ऐसी कई वस्तुएं बताई गई हैं, जिनका खास संबंध किसी विशेष देवी-देवता या दिन से माना जाता है। वास्तु के अनुसार, देवी से संबंधित ये 5 चीजें नवरात्रि के दौरान घर में लाई जाएं तो देवी प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार पर देवी की विशेष कृपा बनी रहती है।
पाना चाहते हैं देवी की विशेष कृपा तो नवरात्रि के दौरान घर में रखें ये 5 चीजें
कमल का फूल या तस्वीर
कमल का फूल देवी लक्ष्मी को विशेष रुप से प्रिय है।नवरात्रि के दौरान यदि घर में कमल का फूल या उससे संबंधी कोई तस्वीर लगाई जाए तो देवी लक्ष्मी की कृपा घर-परिवार पर हमेशा बनी रहती है।
चाँदी या सोने का सिक्का
नवरात्रि के दौरान घर में चाँदी या सोने का सिक्का लाना अच्छा माना जाता है। सिक्के पर यदि देवी लक्ष्मी या भगवान गणेशजी का श्रीचित्र अंकित हो तो और शुभ होगा।
देवी लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर
घर में हमेशा धन-धान्य बनाए रखना चाहते हैं तो नवरात्रि के दौरान देवी लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर घर में लाएँ जिसमें कमल के फूल पर माता लक्ष्मी बैठी दिखाई दे रही हो, साथ ही उनके हाथों से धन की वर्षा हो रही हो।
मोर पंख
देवी के सरस्वती स्वरूप में देवी का वाहन मोर माना जाता है, इसलिए नवरात्रि के दौरान घर में मोर पंख ला कर उसे मंदिर में स्थापित करने से कई फायदे होते हैं।
सोलह श्रृंगार का सामान
नवरात्रि के दौरान सोलह- श्रृंगार का सामान घर लाना चाहिए और उसे घर के मंदिर में स्थापित कर देना चाहिए। ऐसा करने से देवी माँ की कृपा हमेशा घर पर बनी रहती है।
दुर्गति से रक्षा हेतु
मरणासन्न व्यक्ति के सिरहाने गीताजी रखें | दाह – संस्कार के समय ग्रन्थ को गंगाजी में बहा दें, जलायें नहीं।
मृतक के अग्नि –संस्कार की शुरुआत तुलसी की लकड़ियों से करें अथवा उसके शरीर पर थोड़ी –सी तुलसी की लकडियाँ बिछा दें, इससे दुर्गति से रक्षा होती है ।