शिमला। शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार हर तरह से व्यवस्था पतन पर उतारू है। सरकार जिस रवैए पर चल रही है उससे बहुत जल्दी जानलेवा और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के इलाज पर संकट आ सकता है, जिससे इलाजरत मरीजों के प्रोटोकॉल की दवाएं भी उन्हें समय से नहीं मिल पाएंगी जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
एनएचएम और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत नि:शुल्क दी जा रही दवाओं की आपूर्ति भी अब संकट में है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा पैसा दिए जाने के बाद भी सुक्खू सरकार द्वारा दवा सप्लायरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऐसे में दवा सप्लायर अब एसेंशियल ड्रग लिस्ट में आने वाली दवाओं की सप्लाई 31 दिसंबर से रोकने की बात कर रहे हैं।
अगर दवा सप्लाई रुकी तो अस्पताल पहुंचने वाले लोगों पर आफत आनी तय है। सरकार ने हिम केयर और आयुष्मान का बजट भी रोक रखा है जिसकी वजह से हार्ट के ऑपरेशन भी रोके जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे बजट को भी राज्य सरकार क्यों खर्च नहीं कर रही है यह समझ से परे है।
अखबारों में छोटे या बड़े
ऑपरेशन हर दिन टाले जाने की खबरें छपती हैं। इसके बावजूद भी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। वर्तमान हालात और भी खराब हैं।सरकार द्वारा ड्रग सप्लायरों की समस्या को न सुनने और सुलझाने से हालात और खराब होंगे।अस्पतालों में आपातकाल के समय में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां और इंजेक्शन की सप्लाई रुकने से लोगों के जान पर बन आएगी। पूर्व में हमारी सरकार ने लोगों की जान बचाने के लिए महंगे से महंगे इंजेक्शन लोगों को फ्री में उपलब्ध करवाए।
चाहे हार्ट अटैक के समय इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन हो, किसी भी क्रॉनिक और जानलेवा बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां और इंजेक्शन, जरूरतमंद प्रदेशवासियों को नि:शुल्क लगाया गया।
प्रदेशवासियों के इलाज के लिए चाहे पांच हजार का इंजेक्शन लगाना पड़ा या पचास हजार का हमारी सरकार ने लगवाए थे। नौ लाख रुपए का ब्रेस्ट कैंसर के ट्रीटमेंट पैकेज का खर्च भी हमारी सरकार ने उठाया था।
आयुष्मान और हिम केयर से लाखों लोगों को पांच लाख का निःशुल्क इलाज मिल रहा था लेकिन वर्तमान सरकार की उदासीनता की वजह से अब जिन लोगों का इलाज चल रहा है उनके इलाज पर भी संकट आने वाला है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं ठप्प हुई हों। पहले भी कभी अस्पतालों में जांच सुविधाएं ठप्प हो गई थी तो कभी अस्पताल में डॉयलिसिस सेवाएं रोक दी जाती है। आए दिन बड़े से बड़ा और छोटा से छोटा ऑपरेशन टालने की खबरें आती रहती हैं।
सामान्य से सामान्य दवाएं भी लोगों को नहीं मिल रही हैं। इन सबका कारण है सरकार द्वारा पेमेंट रोकना। इससे प्रदेश के लोगों को ही परेशानी होती है, सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। इस बार भी केंद्र सरकार द्वारा पैसे देने के बाद भी दवाओं का पैसा सुक्खू सरकार द्वारा रोका गया है।
ड्रग सप्लायर बार-बार सरकार में जिम्मेदार लोगों को पत्र लिख-लिख कर, मुलाकात कर-करके भुगतान करने की फरियाद कर रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य के साथ इस तरह से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है।