शिमला। राज्य परिवहन विकास और सड़क सुरक्षा परिषद की तीसरी बैठक यहां उद्योग, परिवहन, श्रम एवं रोजगार मंत्री बिक्रम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में सड़क सुरक्षा व कुशल परिवहन सेवा उपलब्ध करवाने संबंधी विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।
बैठक को सम्बोधित करते हुए परिवहन मंत्री ने कहा कि देश में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या बहुत अधिक है और एक अनुमान के अनुसार इनमें से 50 प्रतिशत लोगों को दुर्घटना के एक घंटे के भीतर (गोल्डन आवर) तत्काल जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने पर बचाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि दुर्घटना के समय मददगार बनने वाले नेक व्यक्ति की भलमनसाहत और मान-सम्मान को सरकार द्वारा कानूनी अधिकार देकर पूरी सुरक्षा प्रदान की है। उसकी इच्छा के विरूद्ध न तो कोई पूछताछ की जाएगी न ही उसका अस्पताल में रूकना जरूरी है।
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि सड़क दुर्घटना के समय घायल व्यक्ति को हर सम्भव तत्काल चिकित्सा मुहैया करवाने में मददगार बनकर उसकी कीमती जान बचाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दें।
बिक्रम सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा हिमाचल सड़क सुरक्षा कोष और गतिविधि नियम, 2022 अधिसूचित किया है जिसके तहत सड़क सुरक्षा उपायों और गतिविधियों का कार्यान्वयन एवं सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित किया जा रहा है।
सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा पर 18.38 करोड़ रुपये निधि जारी की गई है। वर्ष 2022-23 के लिए 28.52 करोड़ रुपये की सड़क सुरक्षा कार्य योजना प्रस्तावित है।
उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा की गंभीरता को देखते हुए परिवहन विभाग के अधीन सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है, जिसमें लोक निर्माण, परिवहन, पुलिस, स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल किए गए हैं।
दुर्घटना सम्भावित ब्लैक स्पॉट का एनएचएआई एवं लोक निर्माण विभाग के माध्यम से सुधार किया जा रहा है। शराब सेंसर और स्पीड चैक रडार के लिए पुलिस विभाग को 75 लाख रुपये जारी किए गए हैं। वाहनों की गति सीमा का पुनः निर्धारण किया गया है।
उन्होंने परिवहन विभाग को राज्य व जिला स्तर पर होने वाली जागरूकता गतिविधियों में परिषद के गैर सरकारी सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि स्कूली छात्रों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए राज्य शैक्षणिक संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र सोलन के सहयोग से सड़क सुरक्षा पर पाठ्यक्रम तैयार किया गया है और आगामी शैक्षणिक सत्र में छठी से दसवीं कक्षा तक इसे पढ़ाना शुरू कर दिया जाएगा।
विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के तहत उच्च माध्यमिक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सड़क सुरक्षा क्लब की स्थापना के लिए शिक्षा विभाग को तीन करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
केंद्र सरकार की परियोजना के अन्तर्गत महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा के लिए यात्री वाहनों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए निगरानी केंद्र स्थापित किया गया है। जिला स्तर पर ट्रॉमा सेन्टरों की स्थापना भी की जा रही है।
परिवहन मंत्री ने कहा कि गत साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में परिवहन विभाग ने 1985.93 करोड़ रुपये का राजस्व विभिन्न शीर्षों से अर्जित किया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 512.10 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य है और प्रथम तीमाही में विभाग ने कुल 182.78 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 85.70 करोड़ रुपये अधिक है।
उन्होेंने कहा कि विभाग द्वारा मोटर वाहन नियमों की उल्लंघना करने वालों के विरूद्ध 129570 चलान कर 22.28 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि एकत्रित की गई है।
उन्होंने कहा कि कोविड काल की विपरीत परिस्थितियों के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने परिवहन व्यवसाय से जुड़े ऑपरेटरों को 164.12 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता एवं छूट प्रदान की है। इसमें स्टेज कैरिज, कान्ट्रैक्ट कैरिज व शैक्षणिक संस्थानों की बसों के टोकन टैक्स, विशेष पथकर व यात्री कर में शत-प्रतिशत छूट शामिल है।
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने कहा कि सड़कों पर पैदल पथ का प्रावधान करने के साथ ही एकीकृत परिवहन प्रबंधन व्यवस्था व ट्रैफिक पुलिस स्टेशन समय की आवश्यकता है। शिमला में ट्रैफिक वॉलंटियर जैसे नवोन्मेषी प्रयोग सभी जिलों तक ले जाने चाहिए।
प्रधान सचिव परिवहन ओंकार चंद शर्मा ने कहा कि सड़क सुरक्षा संवेदनशील विषय है और परिवहन विभाग अन्य विभागों के समन्वय से इसे सुदृढ़ करने के लिए प्रयत्नशील है। उन्होंने सभी संबद्ध विभागों से आग्रह किया कि वे समन्वय एवं समीक्षा बैठकों में प्राप्त सुझावों पर कार्य करते हुए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपना सहयोग दें।