दशकों से शोषित कंप्यूटर शिक्षकों और एसएमसी शिक्षकों को एक स्थाई नीति की दरकार : शर्मा

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शिमला। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सचिव पवन मिश्रा एवं हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के महामंत्री डॉ मामराज पुंडीर ने शिमला में पत्रकार वार्ता के आयोजन के अवसर पर हिमाचल प्रदेश सरकार का नए वेतनमान की नोटिफिकेशन जारी करने के लिए धन्यवाद किया ।

हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रांत मीडिया प्रमुख शशि शर्मा ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि राष्ट्रीय सचिव अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ पवन मिश्रा ने हिमाचल प्रदेश सरकार को नए वेतनमान की अधिसूचना जारी करने के लिए धन्यवाद किया और कहा कि खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार ने कोरोनावायरस के बाद की स्थितियों को संभाल के रखा और अपने कर्मचारियों को उनके हक दिए।

हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार की राहतें प्रदान की हैं और कुछ मसले हाई पावर कमेटी को निर्णय करने के लिए भेजे हैं ।उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से अधिक समय से कंप्यूटर शिक्षकों ने अपनी सेवाएं बहुत ही कम वेतन और खराब आर्थिक स्थिति में कंपनी के माध्यम से हिमाचल प्रदेश सरकार को दी हैं ।

हिमाचल प्रदेश में एसएमसी पर तैनात शिक्षक भी अपने लिए स्थाई नीति की उम्मीद में बैठे हैं। साथ ही कई वर्षों से विद्यालयों में वोकेशनल अध्यापकों को भी कम वेतन में काम करना पड़ रहा है।

हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की है कि समान काम के लिए समान वेतन की नीति को अपनाया जाए और इस तरह का शोषण बंद किया जाए।

पवन मिश्र ने कहा कि शिक्षक रास्ट्र निर्माता कहलाए जाते हैं, वे अपने भविष्य के प्रति चिंतित ना रहें। इस प्रकार की राष्ट्रहित में नीति बनाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी वर्ग के शिक्षक का पूरा ध्यान राष्ट्रहित में छात्र हित की तरफ रहे और वे अपनी पूरी ताकत और हुनर के साथ अच्छे नागरिकों का निर्माण करें।

शशि शर्मा ने और जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय सचिव ने हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ द्वारा उठाए गए अन्य 12 मसलों का भी जिक्र किया जो हाई पावर कमेटी को भेजे गए हैं, जिनमें वर्ष 2010 से पहले नियुक्त स्नातक अध्यापकों को पदोन्नति में मुख्य अध्यापक और प्रधानाचार्य बनने की दोनों ऑप्शन बहाल करने का आग्रह किया है।

उन्होंने कहा कि भाषा अध्यापकों को टीजीटी का दर्जा देने की घोषणा सरकार पहले ही कर चुकी है अब सरकार अपनी घोषणा के अनुसार उनको टीजीटी का दर्जा दे।

उन्होंने कहा कि लेक्चरर पदनाम पर किसी प्रकार की विसंगति नहीं होनी चाहिए और एक ही नाम से प्रवक्ता पाठशालाओं में स्थापित होने चाहिए।

इसके लिए 1986 के आर एन्ड पी रूल्स को बहाल किया जाए। मिश्रा ने कहा कि स्नातक अध्यापकों को उच्च शिक्षा निदेशालय के अधीन किया जाए। 2004 से पूर्व की पेंशन योजना बहाल की जाए क्योंकि आज के समय में जो लोग सेवानिवृत्त हो रहे हैं उनको नाम मात्र रुपए पेंशन के रूप में प्राप्त हो रही है जो बड़ा ही भद्दा मज़ाक सेवानिवृत्ति पर शिक्षक के साथ हो रहा है।

प्रधानाचार्य की पदोन्नति दो 2016 के बाद नियमित रूप से नहीं की गई है उसको जल्द नियमित किया जाए। वर्ष 2012 में पदोन्नत हुए मुख्य शिक्षकों को मुख्य शिक्षक की वेतन वृद्धि मिली है लेकिन 2012 से पहले प्रमोट हुए मुख्य शिक्षकों को यह वेतन वृद्धि नहीं मिल पाई है जिससे सीनियर अध्यापक जूनियर से कम वेतन प्राप्त कर रहा है। यह विसंगति तुरंत खत्म की जाए।

पाठशाला में कार्य कर रहे डीपी अध्यापकों को प्रवक्ता फिजिकल एजुकेशन एक समान रूप से बनाया जाए।

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