डीलिमिटेशन के विरोध में उतरे पार्षद

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पहले वार्डों में दी जाएं सुविधाएं, फिर नए क्षेत्रों को किया जाए मर्ज

शिमला। शहर के साथ लगते क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने का विरोध शुरू हो गया है। पार्षदों ने सोमवार को किए गए विशेष हाउस में साफ कर दिया कि जब तक सुविधाएं नहीं मिलती, तब तक शहर का विस्तार नहीं करना चाहिए।

पार्षदों ने का कहना है कि 2006 में जिन नए क्षेत्रों को शामिल किया है, उन्हें अभी तक पूरी सुविधा नहीं दी गई है। इनमें कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर लोगों के हजारों भवन अधर में लटके हैं। इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।

लोगों को बिजली पानी से लेकर अन्य सुविधाएं पूरी तरह से नहीं मिल रही हैं, इसलिए राज्य सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को पार्षदों के विरोध के साथ वापस भेज दिया जाए।

शहरी विकास विभाग की ओर से मिले हुए पत्र को निगम प्रशासन की ओर से सदन में उनकी राय जानने के लिए रखा गया । इसमें चम्याणा, मल्याणा, वरमू, पुजारली , मेहली, झकडैल क्षेत्र को शामिल करने की तैयारी थी।

इस पर पार्षदों ने साफ कहा कि जब भी इस तरह का मर्जर किया जाता है, तब पूरी बातों का ध्यान नहीं रखा जाता। 2006 में जिन क्षेत्रों को शामिल किया गया था, वहां पर आज भी सरकारी भूमि पंचायतों के पास है।

ऐसे में यहां का विकास कराना मुश्किल हो रहा है। इसलिए जब भी किसी भी क्षेत्र को शामिल किया जाए तो उसे पूरी तरह से शामिल किया जाए । टैक्स से लेकर सारी व्यवस्था पहले दिन से ही की जाए ताकि उस क्षेत्र का विकास हो सके।

कांग्रेस से लेकर भाजपा के पार्षदों ने भी साफ तौर पर कहा कि सुविधाओं के साथ क्षेत्रों को शामिल करने में कोई भी इंकार नहीं है। जब तक सभी सुविधाएं नहीं मिलती हैं तब तक नगर निगम का विस्तार करना शहर के हित में नहीं रहेगा।

पार्षदों ने साफ कहा कि न्यू मर्ज एरिया के लोगों को आज तक पानी कामर्शियल दरों पर दिया जा रहा है। 2017 में बिना एनओसी के ऐसे भवन मालिकों को घरेलू दरो पर पानी देने की बात हुई थी, लेकिन आज तक इसमें कोई काम नहीं हो सका है।

इसका पार्षद दिवाकर देव शर्मा ने भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि पहले सुविधाएं दी जानी चाहिए। वहीं टूटू के पार्षद विवेक शर्मा ने कहा कि नगर निगम में पहले मर्ज किए गए एरिया की भूमि स्थानन्तरित नहीं की गई है। ऐसे में वहां कार्य करने में काफी मुश्किल आती है। पंचायतो से एनओसी लेनी पड़ती है नगर निगम भी कोई खास सुविधा नही दे पा रहा है।

वही कसुम्पटी के पार्षद राकेश चौहान ने कहा कि नगर निगम में शामिल करने से पहले वहाँ के लोगो की राय लेना जरूरी है और लोगो को ज़बरदस्ती ही नगर निगम में शामिल नही किया जाना चाहिए साथ ही उन्होंने पीक एंड चूज नही किया जाना चाहिए।

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