आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 04 नवंबर 2021
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत -1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अमावस्या 05 नवंबर रात्रि 02:44 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – चित्रा सुबह 07:43 तक तत्पश्चात स्वाती
योग – प्रीति सुबह 11:11 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल – दोपहर 01:47 से शाम 03:12 तक
सूर्योदय – 06:44
सूर्यास्त – 18:00
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
दर्श अमावस्या, तैलाभ्यांग स्नान, दीपावली, महालक्ष्मी- शारदा- कुबेर पूजन, स्वामी रामतीर्थजी जयंती एवं पूण्यतिथि (ति.अ.) श्री महावीर स्वामी निर्वाण दिवस
विशेष –
अमावस्या और व्रत के दिन स्त्री-सहवास करना निषिद्ध है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
दिवाली के दिन
दिवाली के दिन अपने घर के बाहर सरसों के तेल का दिया जला देना, इससे गृहलक्ष्मी बढ़ती है।
दिवाली की रात प्रसन्नतापूर्वक सोना चाहिये।
थोड़ी खीर कटोरी में डाल के और नारियल लेकर के घूमना और मन में “लक्ष्मी- नारायण” जप करना और खीर ऐसी जगह रखना जहाँ किसी का पैर ना पड़े और गाये, कौए आदि खा जाएँ और नारियल अपने घर के मुख्य द्वार पर फोड़ देना और इसकी प्रसादी बाँटना । इससे घर में आनंद और सुख -शांति रहेगी ।*
दिवाली के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर नीम व अशोक (आसोपाल ) के पत्तों का तोरण लगा देना, इस पर से पसार होने वाले की रोग प्रतिकारक शक्ति बढेगी।
दिवाली के दीन अगर घर के लोग गाय के गोबर के जलते हुए कंडे पर ५-५ आहुतियाँ डालते हैं, तो उस घर में सम्पदा व संवादिता की सम्भावना बढ़ जाती है।
घी, गुड़, चन्दन चूरा, देशी कपूर, गूगल, चावल, जौ और तिल । ५-५ आहुति इन मंत्र को पढ़कर डालें – स्थान देवताभ्यो नमः, ग्राम देवताभ्यो नमः, कुल देवताभ्यो नमः ।
फिर २-५ आहुतियाँ लक्ष्मीजी के लिए ये मंत्र बोलकर डालें -श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
दिवाली की रात मंत्र सिद्धि
दिवाली की रात भूलना नहीं जप, ध्यान, सुमिरन सफल होता है, इसलिये स्वास्थ्य का मंत्र जप लेना और संम्पति प्राप्तिवाले संम्पति का लक्ष्मी का मंत्र अथवा श्री हरि वाला मंत्र जप लेना और भगवत प्राप्ति वाले तो संकल्प करना।
ॐकार मंत्र गायत्री छंद परमात्मा ऋषि।
अंतर्यामी देवता, अंतर्यामी प्रीति अर्थे जपे विनियोग।
लंबा श्वास लो ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
परम पूज्य सदगुरुदेव द्वारा गत वर्षों में दिवाली के समय बताई गयी कुछ बातें
पूजा के स्थान पर मोर-पंख रखने से लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है।
दीपावली के दिन लौंग और इलाइची को जलाकर राख कर दें; उससे फिर गुरुदेव (की फोटो) को तिलक करें; लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है, बरकत होती है।
दीपावली की संध्या को तुलसी जी के निकट दिया जलायें, लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने में मदद मिलती है; कार्तिक मास में तुलसीजी के आगे दिया जलाना पुण्य-दाई है और प्रातः-काल के स्नान की भी बड़ी भारी महिमा है।
दीपावली, जन्म-दिवस और नूतन वर्ष के दिन, प्रयत्न- पूर्वक सत्संग सुनना चाहिए।
दीपावली की रात का जप हज़ार गुना फलदाई होता है;
४ महा-रात्रियाँ हैं – दिवाली, शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी – यह सिद्ध रात्रियाँ हैं, इन रात्रियों का अधिक से अधिक जप करके लाभ लेना चाहिए।
दीपावली के अगले दिन, नूतन वर्ष होता है ; उस दिन, सुबह उठ कर थोडी देर चुप बैठ जाएँ; फिर, अपने दोनों हाथों को देख कर यह प्रार्थना करें:
कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर-मध्ये च सरस्वती,
कर-मूले तू गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनं।
अर्थात
मेरे हाथों के अग्र भाग में लक्ष्मी जी का वास है, मेरे हाथों के मध्य भाग में सरस्वती जी हैं; मेरे हाथों के मूल में गोविन्द हैं, इस भाव से अपने दोनों हाथों के दर्शन करता हूँ।
फिर, जो नथुना चलता हो, वही पैर धरती पर पहले रखें; दाँया चलता हो, तो ३ कदम आगे बढायें, दांए पैर से ही; बाँया चलता हो, तो ४ कदम आगे बढायें, बाँए पैर से ही;
नूतन वर्ष का दिन जो व्यक्ति हर्ष और आनंद से बिताता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष और आनंद से जाता है।