सीपीएम चलाएगी आंदोलन, जानें वजह

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शिमला। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कमेटी पिछले कल नगर निगम शिमला की मासिक बैठक में हुए हंगामे पर गम्भीर चिंता व्यक्त करती है तथा यह भाजपा शासित नगर निगम की लचर व्यवस्था तथा विफलता को उजागर करता है।

जिला सचिव संजय चौहान ने कहा कि इस प्रकार की लचर व्यवस्था में शहर का समग्र विकास नहीं हो पा रहा है और शिमला शहर की जनता उनके द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के इस प्रकार के व्यवहार से अत्यंत दुखी व आहत हुई है।

नगर निगम लोकतंत्र की एक संवैधानिक स्थापना है जिसमे जन प्रतिनिधियों के माध्यम से शहरों का विकास किस रूप में हो वह व्यवस्था की गई है। जनता चुने हुए प्रतिनिधियों से अपेक्षा करती है कि वह उनके लिये समग्र विकास की योजना बना कर शहर का विकास किया जाए तथा यह विकास की बयार शहर के हर घर तक पहुंचे।

परन्तु इस प्रकार की शर्मनाक घटनाएं जनता की भावनाओं को आहत करती है तथा लोक संस्थाओं का अपमान होता है और लोकतंत्र कमजोर होता है।

लोकतंत्र में चुने हुए हर प्रतिनिधि को अपनी बात रखने का अधिकार दिया गया है और सदन में अध्यक्ष का दायित्व बनता है कि सदन की मर्यादा को कायम रखते हुए प्रत्येक सदस्य चाहे वह सत्ता पक्ष का है या विपक्ष का है को उसकी बात रखने का उचित अवसर प्रदान किया जाए।

विकास के कार्य की स्वीकृति प्रदान करते हुए शहर के समग्र विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

भाजपा शासित नगर निगम में लगभग 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो रहा है परन्तु इस कार्यकाल में एक तो शहर के लिए एक भी नई योजना नहीं ला पाई है।

पूर्व नगर निगम के समय में स्वीकृत करवाई व आरम्भ की गई लगभग 5500 करोड़ रुपए की परियोजनाएं जिसमे स्मार्ट सिटी, अम्रुत, विश्व बैंक से शहर की पेयजल सीवरेज व्यवस्था को सुधारने के लिए परियोजना, रोपवे, कूड़े से बिजली बनाने का संयत्र, तहबाजारियों के लिए आजीविका भवन, शहरी गरीबों के लिए आवास, मालरोड व शहर के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट आदि सम्मिलित हैं वह कार्य भी आज तक पूर्ण नहीं कर पाई है।

इससे शहर का समग्र विकास रोक दिया गया है। शहर के चन्द क्षेत्रों तक ही विकास के कार्यों पर ध्यान दिया जा रहा है तथा यह विकास की योजना नगर निगम के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं बल्कि ठेकेदार या सरकार में बैठे चन्द लोग तय कर रहे हैं।

नगर निगम की इस लचर कार्यप्रणाली से इन कई परियोजनाओं पर रद्द होने तय है इससे शहरवासी विकास से वंचित होंगे।

सीपीएम नगर निगम शिमला की इस लचर कार्यप्रणाली व सरकार व नगर निगम की जनता पर आर्थिक बोझ डालने की नीतियों के विरुद्ध आंदोलन चलाएगी और शहर की जनता से आग्रह करती है कि शहर के समग्र विकास और भाजपा सरकार व नगर निगम की इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध इस आंदोलन में भागीदारी करे।

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