शिमला। स्वास्थ्य विभाग केे प्रवक्ता ने यहां कहा कि भारत सरकार द्वारा कोविड-19 एसोसिएटिड म्यूकोर्मिकोसिस (सीएएम) के उपचार व प्रबंधन और इससे संबंधित अन्य विषयों पर एडवाइजरी जारी की है, जिसे प्रदेश के सभी जिलों को भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लिए गठित राष्ट्रीय कार्य बल (नेशनल टास्क फोर्स) ने कोविड-19 एसोसिएटेड म्यूकोर्मिकोसिस (सीएएम) के उपचार की समीक्षा कर, उपचार के संबंध में विभिन्न उपचार विकल्पों की सिफारिश की हैं।
टास्क फोर्स एम्फोटेरिसिन बी के अनुसार, एम्फोटेरिसिन लिपिड काॅम्प्लेक्स, लिपोसोमल और एम्फोटेरिसिन बी डीआॅक्सीकोलेट दोनों ही रूपों में सीएएम मामलों के उपचार के लिए समान रूप से प्रभावकारी है।
उन्होंने कहा कि एम्फोटेरिसिन बी डीआक्सीकोलेट किडनी के लिए अधिक विषाक्त है इसलिए इसके प्रयोग के समय किडनी के कार्य की निगरानी और इलेक्ट्रोलाइट अंसतुलन की निगरानी की जानी चाहिए।
लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी को उन रोगियों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिनके मस्तिष्क में म्यूकोर्मिकोसिस है या उन रोगियों में जो एम्फोटेरिसिन बी डीओक्सीकोलेट को सहन नहीं कर सकते हैं।
संयुक्त टास्क फोर्स ने यह भी सिफारिश की है कि एम्फोटेरिसिन बी उपलब्ध नहीं होने के मामलों में या एम्फोटेरिसिन बी सहन नहीं कर पाने वाले रोगियों में पोसाकोनाजोल इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है।
प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान में राज्य में सीएएम के 17 मामले हैं, जिनमें से जिला कांगड़ा में 7, सोलन में 2, शिमला में 2, मंडी में एक और हमीरपुर में 5 मामले है। इनमें से 4 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि घर में भी एक स्वच्छ मास्क का उपयोग, स्टेराॅयड के उपयोग की उचित खुराक और अवधि, कोविड-19 के रोगियों में शुगर का पर्याप्त नियंत्रण सीएएम के मामलों को कम कर सकता है।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की बहु-विषयक टीम द्वारा इस बीमारी का शीघ्र निदान और उचित प्रबंधन भी किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि लोगों को सीएएम के लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर नेत्र विशेषज्ञ, कान, नाक, गले के विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन और दंत चिकित्सकों के साथ कोविड-19 से स्वस्थ होने के उपरांत परामर्श लिया जाना चाहिए।