जो काम बड़े-बड़ों से नहीं हो पाया, वो हम छोटे लोग करके दिखाएंगे : जयराम

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सीएम ने विपक्ष की टिप्पणी के जवाब में सराज से किया चुनावी शंखनाद

मंडी। आइए, हम प्रण लें कि जो बड़े-बड़ों से नहीं हो पाया, वो काम हम छोटे लोग करके दिखाएंगे। तंज भरे लहजे में चुनावी आगाज करते हुए यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नामाकंन दाखिल से पहले आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कही।

मुख्यमंत्री का यह तंज कांग्रेस पर था क्योंकि कुछ समय पहले विपक्ष के एक विधायक की टिप्पणी वायरल हुई थी जिसमें कहा गया था कि रिवाज बदलकर सरकार रिपीट करवाने का काम राजा साहब 6 बार मुख्यमंत्री होने के बाद भी नहीं कर पाए थे तो जयराम ठाकुर किस खेत की मूली हैं।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नामांकन से पहले सराज विधानसभा क्षेत्र के कुथाह में बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान जयराम ठाकुर ने कहा कि अबकी बार लोगों ने यह तय कर लिया है कि रिवाज बदलेंगे और उसकी शुरुआत आज सराज से हो गए है। आपको जयराम बनकर घर-घर जाना पड़ेगा।

आज की रैली के बाद आप ऐसे ही नहीं बैठ सकते। रिवाज बदलने का काम सराज के जिम्मे आया तो हम सभी सराजी ये काम करके दिखाएंगे। आज एक ऐसी जिम्मेदारी मेरे पास है कि मुझे उसके लिए पूरे हिमाचल में जाना पड़ेगा। इसलिए सराज की जिम्मेदारी मैं आपके ऊपर छोड़ता हूं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि लोकतंत्र के महापर्व में हम प्रवेश कर रहे हैं और आप सभी के आशीर्वाद से हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 25 वर्षों का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक बार फिर आपके बीच आशीर्वाद लेने आया हूं। इस यात्रा के सभी साथियों का मैं आभार व्यक्त करता हूं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि मुझे आगे बढ़ने का हौसला सराज के भाई-बहनों से मिलता है क्योंकि आपने घर संभाला है। इसलिए 25 साल की यात्रा का दौर पूरा हुआ है और अब हम आगे की यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। इस दौरान उन्होंने समस्त देवी-देवताओं को नमन किया।

मुख्यमंत्री ने याद किए 1993 के चुनाव के दिन

जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं कई बार सोचता हूं कि हम कहां से चले हैं और कहां पहुंचे हैं। कई जगह तो साथी ही नहीं मिलते थे। लेकिन साथी जुड़ते गए और कारवां बनता गया। उन्होंने कहा कि जब मैंने 1993 का चुनाव लड़ा था तो उस हमारे 60 पोलिंग स्टेशन में हमें एक-दो आदमी ही अपने मिलते थे, लेकिन कई पोलिंग बूथों पर अपना एक व्यक्ति भी नहीं मिलता था।

सीएम ने कहा कहा कि सराज के पहाड़ चश्मदीद हैं कि इन पहाड़ों पर चढ़ते-चढ़ते हम थके भी, रुके भी, बैठे भी लेकिन फिर से चलते रहे। उस समय के कई साथी आज बुजुर्ग हो गए हैं लेकिन अभी भी चट्टान की तरह साथ खड़े हैं।

मिथक तोड़ा था, रिवाज भी बदलेंगे

जयराम ठाकुर ने कह कि मैं मंडल का अध्यक्ष रहा और 1998 में पहली बार विधायक बना, फिर मुझे युवा मोर्चा का भी अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद पार्टी का मंडी जिले का अध्यक्ष बनाया। उसके बाद मुझे पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 2007 में पार्टी का अध्यक्ष भी बनाया गया। ये सहज रूप से नहीं हुआ क्योंकि इसके पीछे जो ऊर्जा थी वो सराज विधानसभा क्षेत्र के साथियों से मिली।

उन्होंने कहा कि जब मैं 2007 में पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष था तो मुझे हराने के लिए विरोधियों ने बात चलाई कि जो भी पार्टी का अध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़ता है, वो हार जाता है। जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसा हुआ भी था लेकिन हमने चुनाव जीता और इस मिथक को तोड़ा, रिवाज को बदला। दरअसल, जयराम ठाकुर इस बहाने उन मिथकों को तोड़ने की बात कर गए, जो हिमाचल में वर्षों से चले आ रहे हैं। जैसे हिमाचल में सरकार का रिपीट न होना।

सब आपने किया है

जयराम ठाकुर ने कहा कि आज सराज के विकास की बात करूं तो मैंने भी नहीं सोचा था कि सराज विधानसभा के लिए जो लक्ष्य हमने तय किए थे, उन्हें मैं हासिल कर पाऊंगा। लेकिन ऐसा अवसर आया और हमने बहुत कुछ कर दिखाया। यदि मैं कहूं कि ये काम मैंने किए तो ऐसा नहीं है। ये काम मैंने नहीं आपने किए हैं। मैं आप सभी के बीच अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहा हूं। यदि आज मैं यहां हूं तो ये आपका सहयोग है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष के लोग कह सकते हैं कि वोट मांगने आपके बीच में नहीं आया, लेकिन आप लोग मेरे दिल में रहते हैं और मेरे हिस्से इस बार बड़ी जिम्मेदारी है।

एक वक्त हमने सराज के लिए नारा दिया था कि शिखर पर सराज। और अब हिमाचल में हमने नारा दिया कि शिखर की ओर हिमाचल। ये नारा आज सबकी जुबान पर है । हम सब पुराने मिथक तोड़ कर आज सब मिल कर रिवाज बदल कर हिमाचल को शिखर पर ले जायेंगे ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का किया आभार

जयराम ठाकुर ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय नेतृत्व भी आगे बड़ने के लिए हर संभव मदद करता रहा है। इसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करना चाहूंगा क्योंकि उन्होंने मुझे अपने जीवन की परिस्थितियों संघर्ष के करीब पाया। जिस दौर से वो गुजरे हैं, उन्होंने देखा कि उस दौर से हिमाचल के एक गांव में रहने वाला किसान का बेटा जयराम भी गुजरा है।

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