शिमला। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कमेटी का मानना है कि शिमला शहर व अन्य क्षेत्रों में जनजीवन बर्फबारी के कारण पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है और इसने सरकार व नगर निगम शिमला के बर्फबारी से निपटने के लिए किये गए दावों व प्रबन्धों की पोल खोल के रख दी है।
सरकार व नगर निगम की कुव्यवस्था के कारण आज भी प्रदेश की राजधानी शिमला में सड़कें व रास्ते पूरी तरह से नहीं खोल पाए हैं और शिमला को प्रदेश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाली सड़के अभी भी बंद है तथा राजधानी शिमला का प्रदेश के अन्य भागों से संपर्क कटा हुआ है।
कम्युनिस्ट पार्टी। (मार्क्सवादी) के जिला सचिव संजय चौहान ने कहा कि आज भी शिमला शहर व ज़िला के कई गांवों में पेयजल व विद्युत आपूर्ति सुचारू नही हो पाई है। शिमला शहर में अस्पतालों को जाने वाली सड़के व रास्ते पर फिसलन होने के कारण मरीजों को अस्पताल ले जाने व सड़कों पर बसों के न चलने से आम जनता को बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है।
सरकार व नगर निगम ने बर्फबारी से निपटने के लिए तय किये गए स्नो मैन्युअल व आपदा प्रबंधन के मैन्युअल के तहत जो कार्य करने चाहिए थे उनपर भी कोई गौर नहीं किया जिससे अव्यवस्था और अधिक बढ़ी है।
सड़कों व रास्तों पर रेत डालने का उचित प्रबंध नहीं किया गया है। सरकार यदि तुरन्त सड़कों को नहीं खोलती तथा बिजली, पानी व अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तुरन्त बहाल नहीं करती तो पार्टी आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी।
सरकार की कुव्यवस्था के कारण बर्फबारी से शिमला शहर में व्यापक नुकसान हुआ है। शहर में 60 से अधिक पेड़ गिरे है और इससे निजी व सरकारी सम्पत्ति को भारी नुकसान हुआ है। सड़को व रास्तो में फिसलन के कारण मरीजों को अस्पताल ले जाने में भी परेशानी रही तथा बर्फ पर फिसलने से सैंकड़ों लोगों को चोटें आई है और गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण भी नुकसान हुआ है। पर्यटकों को भी शहर में पहुंचने व शहर से निकलने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है।
बर्फ़बारी से पूर्व सरकार व नगर निगम शिमला मीडिया में बड़े बड़े दावे कर रहे थे कि बर्फ़बारी से निपटने के लिए सभी प्रबन्ध सुचारू रूप से कर दिए गए हैं। बर्फबारी साफ करने के लिए मशीनरी व लेबर व अन्य सामग्री का प्रबंध कर दिया है।
बर्फ़बारी को साफ करने के लिए कैमिकल व सोडियम क्लोराइड का प्रयोग किया जाएगा। परन्तु बर्फबारी के पश्चात सरकार व नगर निगम के चुने हुए प्रतिनिधि लगभग गायब है और सरकार के विभागों में कोई भी तालमेल नहीं है।
सरकार के विभागों में कोई भी तालमेल न होने से लोगों को परेशानी और अधिक बढ़ गई है। शहर में जनता को दूध, ब्रेड, गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है।
सरकार के दावों की पोल इससे भी खुल गई है सरकार की पूरी व्यवस्था ठेकेदारो पर निर्भर होने के कारण व इनके द्वारा काम रोकने के कारण भी व्यवस्था चरमरा गई है।
ठेकेदार काफी समय से सरकार से अपनी मांगों के हल को लेकर आग्रह कर रहे हैं परन्तु सरकार इनकी मांगो पर कोई भी गौर नहीं कर रही है जिससे उन्होंने काम न करने का निर्णय लिया है।
सरकार इनसे बातचीत करने व इनकी मांगो का समाधान करने के बजाए सरकार के शहरी विकास मंत्री मात्र प्रेस बयान देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
सरकार के इस गैर जिम्मेदाराना रवय्ये के कारण आज जनता की परेशानी बड़ी है। पार्टी मांग करती है कि सरकार तुरन्त ठेकेदारों की मांगों पर गौर करे व इनका समाधान कर विकासात्मक व अन्य कार्यों को सुचारू रूप से चलाए।