शिमला म राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने देशहित में अनुशासन और स्वदेशी की भावना के साथ कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि भ्रष्टाचार को समाप्त करना है, तो भ्रष्टाचार विरोधी दृष्टिकोण को जीवन शैली का हिस्सा बनाना चाहिए।
राज्यपाल शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में राज्य सतर्कता विभाग और भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो द्वारा 31 अक्तूबर से 6 नवंबर, 2022 तक आयोजित सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अवसर पर पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने राज्य सतर्कता विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि सप्ताह के कार्यक्रम के दौरान प्राप्त सुझाव और उपाय केवल यहीं तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इन्हें व्यावहारिक तौर पर उपयोग में लाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें भ्रष्टाचार के विरुद्ध सतर्क रहना चाहिए और गलत प्रथाओं को समाप्त करने की आवश्यकता है जिसके लिए सभी को बढ़-चढ़ कर आगे आना चाहिए।
आर्लेकर ने कहा कि भ्र्रष्टाचार मानवीय स्वभाव से आता है। उन्होंने कहा कि जिस दिन से हमने अपने सार्वजनिक और निजी जीवन से धर्म को अलग कर दिया, हम भ्रष्ट होने लगते हैं क्योंकि हमने धर्म को गलत परिभाषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि धर्म केवल पूजा प्रणाली तक सीमित नहीं है।
यह जीवन और आचरण का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि धर्म हमें सिखाता है कि हमें जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। उन्होंने धर्म को जीवन का हिस्सा बनाने पर बल दिया।
राज्यपाल ने समाज में तेजी से फैल रहे भ्रष्टाचार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसे ऊपरी स्तर पर फैलने से रोकने के लिए योजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार केवल धन तक सीमित नहीं है, बल्कि आचरण, सोच, स्वभाव, समय से भी संबंधित है। ऐसे में हमें अनुशासित जीवन जीने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमारा अनुशासन दूसरों को भी प्रभावित करता है। उन्हांेने विशेष रूप से जिम्मेदार अधिकारियों को अपने अच्छे आचरण से विभागीय छवि को और अधिक मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ‘अमृत काल’ में हमें आगे बढ़ कर भ्रष्टाचार मुक्त भारत को लक्ष्य मान कर कार्य करने की आवश्यकता है।