प्रदेश में बेमौसमी टमाटर की खेती किसानों में तेजी से हो रही लोकप्रिय

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शिमला। प्रदेश में प्राकृतिक गलास हाऊस में बेमौसमी टमाटर की खेती सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों में तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। राज्य की जैविक विविधता तथा कृषि के अनुकूल वातावरण की वजह से पहाड़ी राज्य के किसान गैर मौसमी टमाटर को खेती को बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में गैर मौसमी टमाटर की पैदावार मानसून के दौरान होती है जब मार्किट में मैदानी इलाकों से टमाटर की आपूर्ति खत्म हो जाती है जिसकी वजह से किसानों को उपज के लाभकारी मूल्य मिलते हैं।

राज्य में गैर मौसमी टमाटर के उत्पादन से स्थानीय उपभोक्ताओं की मांग पूरी होने के साथ पड़ौसी राज्यों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा की मण्डियों में भी टमाटर की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है।

राज्य के कृषि मंत्री श्री वीरेंन्द्र कंवर ने बताया कि इस समय राज्य में 3,20,700 मीट्रिक टन गैर मौसमी टमाटर का उत्पादन किया जाता है तथा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए आगामी वर्षों में 4,98,000 मीट्रिक टन गैर मौसमी टमाटर के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

सोलन जिला में कुल उत्पादन का सर्वाधिक 46 प्रतिशत उत्पादन रिकार्ड किया गया है तथा ज़िले में उपजे टमाटर का 90 प्रतिशत हिस्सा पड़ौसी राज्यों की मण्डियों में सप्लाई किया जाता है। सिरमौर जिला में 30 प्रतिशत, कुल्लू जिला में 10 प्रतिशत तथा शिमला मण्डी, बिलासपुर आदि ज़िलों में बाकी 14 प्रतिशत फसल का उत्पादन किया जाता है।

गैर मौसमी टमाटर उत्पादन करने वाले ज्यादातर किसान स्थानीय कृषि उत्पाद विपणन समिति में अपनी फसल बचने को प्राथमिकता देते हैं। जबकि कृछ किसान ट्रांसपोर्टस के माध्यम से अन्य राज्यों की सब्जी मण्डियों में अपनी फसल बेचते हैं।

सलोगड़ा और नज़दीकी क्षेत्रों के कुछ किसानों ने टाटा समूह के देश के सबसे बड़े ऑनलाइन फ़ूड स्टोर “बिग बॉस्केट ” कम्पनी से अनुबंध किया है जबकि कुछ किसान ई-मार्किटप्लेस के माध्यम से अपनी फसल बेचते हैं।

राज्य में 22753 किसान टमाटर के उत्पादन से जुड़े हैं तथा इनमें से 90 प्रतिशत किसान लघु तथा सीमांत श्रेणी में आते हैं। राज्य में ‘‘पॉली हाऊस’’ के माध्यम से भी गैर मौसमी टमाटर की सफलतापूर्वक खेती की जा रही है।

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि पिछले वर्ष के दौरान राज्य में 22753 किसानों द्वारा 203 करोड़ रुपये मूल्य के गैर सीज़न टमाटर का उत्पादन रिकार्ड किया गया तथा प्रति हैक्टेयर औसतन उत्पादन 350-375 किवंटल रिकार्ड किया गया।

सी एस के कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर द्वारा टमाटर की चार रोग प्रतिरोधक ज्यादा पैदावार प्रदान करने वाली किस्मों को विकसित किया गया है। जो कि नीचले तथा मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में प्रति एकड़ पैदावार में अप्रत्याशित वृद्धि करेगी।

राज्य में टमाटर की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए कृषि विश्वविद्यालय नियमित तौर पर किसानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। जिससे अब तक लगभग 25,000 किसान लाभान्वित हुए हैं।

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि गैर मौसमी टमाटर की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग ने फसल के विविधकरण, उच्च पैदावार की किस्मों, माइक्रो सिंचाई प्रणाली तथा प्रकृतिक खेती पर आधारित एक महत्वकांक्षी योजना शुरु की है, किसानों को परंपरागत फसलों की बजाये नकदी फसलों के उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्र्तगत पचास प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

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