शिमला। कोई परिवार अथवा व्यवसायिक उपक्रम बच्चों को बाल श्रम के प्रति बाध्य करता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
यह जानकारी आज हिमाचल प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष वंदना योगी ने बचत भवन शिमला में आयोजित बाल श्रम में बचाव एवं पुनर्वास के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए दी।
उन्होंने बताया कि गलियों में भीख मांग रहे बच्चे अथवा मजबूरी वंश वाल श्रम में बाध्य बच्चों के अधिकारों के रक्षण के लिए विभाग निरंतर प्रयासरत है।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला के माध्यम से व्यवहारिक तौर पर इन बच्चों के आंकड़े एकत्र करने अथवा इन बच्चों के सुधार के लिए आने वाली कठिनाइयों के प्रति चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त कार्यशाला में परस्पर सुझाव का आदान प्रदान कर विचार साझा किए गए।
उन्होंने कहा कि बिना सामाजिक सहयोग से बाल श्रम में लगे बच्चों का पुनर्वास संभव नहीं। उन्होंने कहा कि बच्चों के कल्याण के लिए कार्य करने वाली एजेंसियों को भी सामाजिक सहयोग की नितांत आवश्यकता है ताकि बच्चों के भविष्य को संवारा जा सके और भावी समाज के रक्षण में हम सक्षम हो सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार इस संबंध में अनेक योजनाएं और व्यवस्थाएं लेकर आई है जिसमें जन सहयोग से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में जिला में 247 निरीक्षण विभिन्न ढाबों, व्यवसायिक उपक्रमों व परिवारों में किया गया जिसके तहत दो मामलों में बाल अधिकारों का हनन पाया गया, जिसमें उपायुक्त के माध्यम से एक मामले में दंड किया गया जबकि दूसरा मामला अभी चला हुआ है।
उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के हनन की स्थिति देवभूमि में लगभग ना के बराबर है उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला इसी संदर्भ में आंकड़े एकत्र करने तथा बच्चों की पहचान सुनिश्चित करने के संबंध में विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए आयोजित की गई थी।
कार्यशाला के दौरान विभिन्न रिसोर्स पर्सन ने अपने वक्तव्य रखे , जिसमे बाल श्रम और किशोर अधिनियम 1986 पर जिला श्रम अधिकारी सीएम शर्मा, पुलिस और जिला प्रशासन की भूमिका पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुशील शर्मा, हिमाचल प्रदेश भीख रोकथाम अधिनियम 1979 पर अधिवक्ता रीता ठाकुर ने अपने विचार साझा किए।
कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण अधिकारी रमा कंवर ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा रखी।