शिमला। गर्मी का मौसम शुरू हो गया है और गर्मी के शुरू होते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। वन की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग पर होती है। इसके चलते आग से वनों की सुरक्षा के लिए वन विभाग द्वारा फायर वाचर की नियुक्ति की जाती है।
साथ ही जंगलों को आग से बचाने के लिए अन्य प्रयास भी किये जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी हर वर्ष यह समस्या बनी रहती है और आग लगने के कारण जंगलों को काफी नुकसान पहुंचता है।
आग से जहां लाखों करोड़ों की वनसम्पदा जलकर राख हो जाती है वन्ही बेगुनाह जीव जंतु भी आग में जल जाते हैं। पहाड़ी को आग से बचाने और पहाड़ियों पर आग लगने की स्थिति में निगरानी रखने के लिए वन विभाग द्वारा फायर वाचर की नियुक्ति की जाती है। इसके अलावा वन कर्मचारी भी निगरानी करते हैं। लेकिन इसके बाद भी लोगों में जागरूकता का अभाव वन को आग से बचाने के मार्ग में बाधक बना हुआ है।
सोलन जिला के अर्की उपमंडल के विख्यात पर्यटक व देवस्थल बाड़ी धार की पहाड़ी का जंगल भी आग से जंगल धू धू कर जल रहा है। आग लगने का कारण पता नही लग पाया है।
इतना स्पष्ट है कि जब तक इस आग पर काबू पाया जाएगा तब तक नुकसान काफी हो जाएगा। ऐसे में आगजनी की घटनाओं को काबू पाने और लोगों को जागरूक करने के सरकार के प्रयासों के अभाव में प्रकृति को जो नुकसान हो रहा है, उसका परिणाम मानव जाति भुगत ही रही है।