सीएम सुक्खू का बड़ा एलान, नहीं मानी मांगे तो लुहरी, सुन्नी और धौलासिद्ध प्रोजेक्ट्स का हिमाचल सरकार करेगी अधिग्रहण

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शिमला। पिछली भाजपा सरकार ने पॉवर पालिसी में बदलाव किया जिससे हिमाचल के हितों को बड़ा आघात पहुंचा। पूर्व भाजपा सरकार ने एसजेवीएन के साथ जो समझौता किया उसमें हिमाचल के हितों की अनदेखी की गई।

यह बात सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से बातचीत में कही। आज लुहरी व सुन्नी जल विद्युत परियोजना से प्रभावित लोगों के एक दल ने पूर्व विधायक राकेश सिंघा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से ओकओवर में मुलाकात की और उन्हें मांगों को लेकर ज्ञापन दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावितों की मांगो लेकर सरकार गंभीर है। उन्होंने कहा कि एक कमेटी गठित की जाएगी और सभी प्रभावितों की हरसंभव मदद की जाएगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद उन्होंने लुहरी, धौलासिद्ध, सुन्नी आदि प्रोजेक्ट्स का आंकलन किया।

उन्होंने कहा कि आंकलन में पाया गया कि पूर्व भाजपा सरकार ने जो समझौता किया था उसके अनुसार हिमाचल को 12 प्रतिशत फ्री रॉयलिटी 12 से 15 सालों बाद मिलेगी और यह प्रोजेक्ट हमेशा के लिए एसजेवीएन के पास रहेंगे। साथ ही कोई जीएसटी भी नहीं लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस बात का विरोध किया और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात में हिमाचल का स्टैंड साफ कर दिया।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को स्पष्ट कर दिया गया कि हिमाचल को शुरू में 12 प्रतिशत रॉयलिटी, 12 से 30 वर्ष तक 18 प्रतिशत, 30 से 40 वर्षों के बीच 30 प्रतिशत रॉयलिटी के साथ 40 सालों बाद प्रदेश को यह प्रोजेक्ट्स वापिस मिलने चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हिमाचल सरकार इस एमओयू को आगे नहीं बढ़ाएगी।

उन्होंने कहा कि एमओयू के बाद एक इम्पलीमेंट एग्रीमेन्ट होता है। उन्होंने एसजेवीएन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एसजेवीएन ने हिमाचल सरकार की मंजूरी के बिना ही लुहरी, धौलासिद्ध और सुन्नी प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू कर दिया। सरकार द्वारा विरोध करने पर एसजेवीएन ने एमओयू का हवाला दिया।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि अगर तय रॉयल्टी पर सरकार और कंपनी के बीच बात नहीं बनी तो एसजेवीएनएल से तीनों हाइड्रो प्रोजेक्ट का अधिग्रहण सरकार कर लेगी।

वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से निपटने के लिए केंद्र से सिर्फ आश्वासन मिला है पर अभी तक केंद्र से कोई भी मदद नही मिली है। आपदा से प्रदेश को अभी तक लगभग 900 करोड़ का नुकसान हो चुका है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए सरकार कई नई योजनाएं ला रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 100 रुपए प्रति मीटर के हिसाब से पानी का बिल सरकार वसूलेगी। वहीं पानी का व्यवसायिक उपयोग करने वालों से व्यवसायिक बिल वसूला जाएगा।

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