विक्रमादित्य सिंह के बयान पर नेता प्रतिपक्ष की प्रतिक्रिया, अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर मंत्री

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शिमला। कांग्रेस सरकार के मंत्री ही अपनी सरकार के ख़िलाफ़ मुखर हो गये हैं। यह विक्रमादित्य सिंह के बयान से साबित हो रही है।

आख़िर ऐसी नौबत क्यों आन पड़ी कि मंत्री अधिकारियों को अपने कमरे में बुलाकर निर्देश देने के बजाय मीडिया के समक्ष अपनी बात कहने को विवश हैं। इससे स्पष्ट होता है कि मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच कोई तालमेल नहीं है।

एक तरफ़ प्रदेश में भारी बारिश कारण जान-माल की भारी क्षति हुई है। वहीं दूसरी तरफ़ मंत्री अपनी बेबसी ज़ाहिर करते हुए अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा प्रकट कर रहे हैं। व्यवस्था परिवर्तन का इस तरह का कोई दूसरा उदाहरण और देखने को नहीं मिल सकता है।

प्रदेश में जहां बारिश और बाढ़ के कारण चारों तरफ़ तबाही और त्राहि-त्राहि मची है। आपदा प्रभावित लोग सरकार से राहत की उम्मीद कर रहे हैं। वहां सरकार के मंत्री और विधायक अपना रोना तो रहे हैं। इस प्रकार के सरकार की कार्यप्रणाली प्रदेश में लोगों को देखने को नहीं मिली।

सड़कें टूटी पड़ी हैं। बिजली, पानी, राशन की आपूर्ति जैसे मूलभूत सुविधाओं की आपूर्ति बाधित हैं। आपातस्थिति में लोग अस्पताल नहीं पहुँच पा रहे हैं। सेब का सीजन शुरू हो चुका है लेकिन सेब मंडियों तक पहुँचाने में सरकार कोई रुचि नहीं ले रही हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

विक्रमादित्य सिंह के द्वारा अधिकारियों पर ज़ाहिर गई नाराज़गी अधिकारियों पर नहीं मुख्यमंत्री पर है। आपदा के समय मंत्रियों द्वारा इस तरह बयान आना यह दर्शाता हैं कि सरकार में कुछ भी सही नहीं चल रहा है। आपदा के समय में भी जनहित के बजाय आपस में उलझे रहने वाले लोग प्रदेश का भला नहीं कर सकते हैं।

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