नेरवा, नोविता सूद। नेरवा-चौपाल-कुपवी क्षेत्र के अधिकाँश लोगों की आर्थिकी सेब पर ही निर्भर है। सेब उत्पादकों के साथ कई अन्य लोग भी अपने परिवार के भरण पोषण के लिए किसी न किसी रूप में निर्भर हैं।
वो चाहे प्रूनिंग-कटिंग करने वाले हों या फिर मजदूर हों अथवा घोड़े खच्चर वाले हो या फिर ग्रेडर पैकर ही क्यों न हों कई लोगों की आजीविका सेब की फसल के साथ जुडी हुई है।
इसके आलावा सेब सीजन में नेपाल से हजारों की संख्या में मजदूर चौपाल के विभिन्न स्थानों में पंहुचते हैं। बागवानों को अच्छी फसल के लिए कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है। सेब के बागवानों का सबसे बड़ा इम्तिहान मौसम लेता है।
सेब की फसल के लिए नवंबर से लेकर जून तक का मौसम अति महत्वपूर्ण होता है। यदि नवंबर से जनवरी तक अच्छी बारिश व बर्फवारी हो जाए तो सेब के लिए आवश्यक चिलिंग ऑवर आराम से पूरे हो जाते हैं व सेब की अच्छी फसल का आधार तैयार हो जाता है।
इसके बाद मार्च व अप्रैल में फ्लॉवरिंग के दौरान का समय सेब के लिए अति संवेदनशील माना जाता है। इस दौरान यदि बारिशें हो जाएँ तो ठण्ड के चलते फ्लॉवरिंग प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। फसल की सेटिंग होने के बाद बागवानों की छह माह की हाड तोड़ मेहनत का असली इम्तिहान शुरू होता है।
मई से जून के अंत तक होने वाली ओलावृष्टि बागवानों की छह माह की इस मेहनत का कडा इम्तिहान लेती है व कई बार तो सेब की फसल को पूरी तरह तबाह कर डालती है।
क्षेत्र के बागवान उपमंडल चौपाल के सेब बहुल क्षेत्रों में एंटी हेल गन स्थापित करने की लम्बे अरसे से मांग कर रहे हैं, परन्तु अभी तक बागवानों की यह मांग पूरी नहीं हो पाई है। यदि बागवानों की यह मांग पूरी हो जाए तो करोड़ों रुपये की सेब की फसल को ओलों की मार से बचाया जा सकता है।
इसके लावा क्षेत्र की बदहाल सड़कें भी क्षेत्र की इस सुदृढ़ आर्थिकी की राह का रोड़ा हैं। आमतौर पर बरसात के मौसम में जब सेब सीजन चरम पर होता है तो बारिश के चलते क्षेत्र की सड़कें बदहाल हो जाती हैं।
कई मार्गों पर तो वाहन चालक अपने वाहन ले जाने से ही तौबा कर लेते हैं, जिस के चलते बागवानों को सेब की पेटियां कई गुना भाड़ा चुका कर मुख्य मार्गों तक पंहुचानी पड़ती हैं व कई बार तो सेब बागीचों में ही सड़ जाता है।
क्षेत्र के बागवानों किरपा राम मखराण,करम चंद शर्मा, सही राम, सुरेंद्र सिंह, मस्त राम, रोशन लाल, भगत राम, सूरत, भीम सिंह, अमर सिंह व राम प्रकाश आदि ने सरकार से मांग की है कि क्षेत्र के द्युंदरधार, मांदलधार, रुसलाहधार, बमटा, रेओष्टि व मालत आदि क्षेत्रों में एंटी हेल गन स्थापित की जाये ताकि बागवानों को ओलों की मार से निजात मिल सके।
यह भी मांग की है कि आगामी सेब सीजन से पहले सेब बाहुल क्षेत्रों की सड़कों की दशा में सुधार किया जाए।