लोक संगीतकार डॉ कृष्ण लाल सहगल को आजीवन उपलब्धि सम्मान

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शिमला। हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच, शिमला हिप्र द्वारा संगीत शिरोमणि डॉ कृष्ण लाल सहगल को हिमाचली लोक संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए आजीवन उपलब्धि सम्मान से अलंकृत किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें शिमला में आयोजित एक भव्य लोक संगीत के आयोजन में प्रदान किया जाएगा जिसकी घोषणा शीघ्र ही की जाएगी।

हिमाचली लोक संगीत का यह कार्यक्रम विशेष रूप से डॉ कृष्ण लाल सहगल को ही समर्पित रहेगा जिसमें उनके स्वरचित लोग गीत उन्हीं से तो सुनेंगे ही, साथ अन्य लोक कलाकार भी रहेंगे। यह जानकारी आज शिमला में एक प्रैस विज्ञप्ति के द्वारा हिमालय मंच के अध्यक्ष और विख्यात साहित्यकार एस आर हरनोट ने दी।

हरनोट ने बताया कि 73 वर्षीय डॉ कृष्ण लाल सहगल ने अब तक का अपना सारा जीवन हिमाचली लोक संगीत को समर्पित किया है और अभी भी निरन्तर संगीत के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने अब तक लगभगत सौ से अधिक पहाड़ी गीतों की संरचना ही नहीं बल्कि आकाशवाणी, दूरदर्शन और कई माध्यमों से गाया है।

उनके गीतों की कई ऑडियो और विडियो कैसेट्स भी निकली है। पिछले दिनों ‘गीत मेरी माटी रे‘ पुस्तक भी प्रकाशित हुई है जिसमें सिरमौर जनपद के लोक गीत स्वरलिपि बद्ध हैं। सहगल जी को अनेक संगीत सेवी संस्थाओं ने जिला व राज्य स्तरीय सम्मानों से भी सम्मानित किया है।

एस आर हरनोट ने जानकारी दी कि डॉ कृष्ण लाल सहगल कंठ संगीत में पीएचडी है और उन्होंने प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ से गायन व वादन में संगीत विशारद और इलाहाबाद से कंठ संगीत में संगीत प्रवीण की उपाधियां हासिल की हैं।

वे आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन के उच्च श्रेणी कलाकारों में शामिल हैं। वे वर्ष 2008 में हिमाचल कॉलेज काडर से एसोसिएट प्रोफेसर(कंठ संगीत) पद से सेवानिवृत हुए हैं। हिमालय साहित्य मंच ने अब तक जिन वरिष्ठ साहित्यकारों को आजीवन उपलब्धि सम्मान से नवाजा है उनमें श्रीनिवास श्रीकांत, डॉ मौलूराम ठाकुर, सरोज वशिष्ट, सत्येन शर्मा, रामदयाल नीजर, सुंदर लोहिया, रमेश चन्द्र शर्मा और ओम प्रकाश हांडा शामिल हैं। लोक संगीत में यह पहला सम्मान दिया जा रहा है।

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