आज का हिन्दू पंचांग, जानें श्रावण सोमवार की महत्ता

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दिनांक – 18 जुलाई 2022

दिन – सोमवार

विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)

शक संवत -1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – वर्षा ऋतु

मास -श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार आषाढ़)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – पंचमी सुबह 08:54 तक तत्पश्चात षष्ठी

नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद दोपहर 12:24 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद

योग – शोभन शाम 03:26 तक तत्पश्चात अतिगण्ड

राहुकाल – सुबह 07:46 से सुबह 09:26 तक

सूर्योदय – 06:07

सूर्यास्त – 19:21

दिशाशूल – पूर्व दिशा में

विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

श्रावण सोमवार

18 जुलाई 2022 को श्रावण मास का सोमवार है।

भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास शुरू हो चुका है, (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अषाढ़ मास चल रहा है वहां 29 जुलाई, शुक्रवार से श्रावण (सावन) मास आरंभ होगा)

भगवान शिव श्रावण सोमवार के बारे में कहते हैं कि सोमवार मेरा ही स्वरूप है, अतः इसे सोम कहा गया है। इसीलिये यह समस्त राज्य का प्रदाता तथा श्रेष्ठ है। व्रत करने वाले को यह सम्पूर्ण राज्य का फल देने वाला है।

भगवान शिव यह भी आदेश देते हैं कि श्रावण में सोमवार को मेरी पूजा और नक्तभोजन करना चाहिए।

पूर्वकाल में सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने ही इस मंगलकारी सोमवार व्रत को किया था।

प्रदोष आदि गुणों से युक्त सोमवार के दिन शिव पूजा का विशेष महात्म्य है। जो केवल सोमवार को भी भगवान शंकर की पूजा करते हैं, उनके लिए इहलोक और परलोक में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं। सोमवार को उपवास करके पवित्र हो इंद्रियों को वश में रखते हुए वैदिक अथवा लौकिक मंत्रों से विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

ब्रह्मचारी, गृहस्थ, कन्या, सुहागिन स्त्री अथवा विधवा कोई भी क्यों न हो, भगवान शिव की पूजा करके मनोवांछित वर पाता है।*

दोनों पक्षों में प्रत्येक सोमवार को प्रयत्नपूर्वक केवल रात में ही भोजन करना चाहिए। शिव के व्रत में तत्पर रहने वाले लोगों के लिए यह अनिवार्य नियम है।

सोमवार की अष्टमी तथा कृष्णपक्ष चतुर्दशी इन दो तिथियों को व्रत रखा जाए तो वह भगवान शिव को संतुष्ट करने वाला होता है, इसमें अन्यथा विचार करने की आवश्यकता नहीं है।

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