दिनांक – 20 अक्टूबर 2022
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – दशमी शाम 04:04 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – अश्लेशा सुबह 10:30 तक तत्पश्चात मघा
योग – शुभ शाम 05:53 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल – दोपहर 01:50 से शाम 03:17 तक
सूर्योदय – 06:37
सूर्यास्त – 18:09
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
20 अक्टूबर 2022 गुरुवार को शाम 04:05 से 21 अक्टूबर, शुक्रवार को शाम 05:22 तक एकादशी है।
विशेष – 21 अक्टूबर, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।
महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सकें तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए।
गोवत्स द्वादशी
कार्तिक मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन मास) की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी कहते हैं। इस दिन यानी 21 अक्टूबर शुक्रवार को दूध देने वाली गाय को उसके बछड़े सहित स्नान कराकर वस्त्र ओढाना चाहिये।
गले में पुष्पमाला पहनाना , सींग मढ़ना, चन्दन का तिलक करना तथा ताम्बे के पात्र में सुगन्ध, अक्षत, पुष्प, तिल, और जल का मिश्रण बनाकर निम्न मंत्र से गौ के चरणों का प्रक्षालन करना चाहिये।
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः ।।