दिनांक – 09 अक्टूबर 2022
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – अश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पूर्णिमा 10 अक्टूबर रात्रि 2:24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद शाम 04:21 तक तत्पश्चात रेवती
योग – ध्रुव शाम 06:37 तक तत्पश्चात व्याघात
राहुकाल – शाम 04:51 से शाम 06:20 तक
सूर्योदय – 06:33
सूर्यास्त – 18:18
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – व्रत पूर्णिमा,माणेकठारी-कोजागरी -शरद पूर्णिमा,नवान्न पूर्णिमा,कार्तिक व्रतारंभ ,कार्तिक स्नानारंभ
विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
कार्तिक मास में स्नान की महिमा
कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने की बड़ी भारी महिमा है और ये स्नान तीर्थ स्नान के समान होता है।
कार्तिक मास में जप
कार्तिक मास में अपने गुरुदेव का सुमिरन करते हुए जो “ॐ नमो नारायणाय” का जप करता है, उसे बहुत पुण्य होता है।
कार्तिक मास
स्कंद पुराण में लिखा है : ‘कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं हैं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है। – ( वैष्णव खण्ड, का.मा. : १.३६-३७)