दिनांक – 30 सितम्बर 2022
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – अश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी रात्रि 10:34 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – अनुराधा 31 सितम्बर प्रातः 04:19 तक तत्पश्चात जेष्ठा
योग – प्रीति रात्रि 10:33 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल – सुबह 10:59 से दोपहर 12:29 तक
सूर्योदय – 06:30
सूर्यास्त – 18:26
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – उपांग- ललिता पंचमी
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
बहुत समस्या रहती हो तो
जिनको कोई तकलीफ रहती है, कर्जा है, काम धंधा नहीं चलता, नौकरी नहीं मिलती तो
सोमवार का दिन हो ना सुबह बेलपत्र, पानी और दूध। पहले दूध और पानी शिवलिंग पर चढ़ा दो फिर बेलपत्र रख दो।
पाँच बत्ती वाला दीपक जलाकर रख दो और बैठकर थोडा अपना गुरुमंत्र जपो। तो जप भी हो जायेगा, जप का जप, पूजा की पूजा, काम का काम।
मंगलवार को २ मिनट लगेंगे अगर गन्ने का रस मिल जाय थोडा सा या घर पर निकाल सकते हैं। वो थोडा रस शिवलिंग पर चढ़ा दिया।
बुधवार को थोडा जप कर लिया जल आदि चढ़ा दिया, नारियल रख दिया अगर हो तो नहीं तो कोई जरुरत नहीं है। जिनको ज्यादा तकलीफे है उनके लिए है और जिनको न हो तो हरि ॐ तत् सत् बाकी सब गपसप।
शारदीय नवरात्रि
भय का नाश करती हैं मां कात्यायनी
नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है। महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं।
नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रृति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।
नवरात्र की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं । इससे धन लाभ होने के योग बनने हैं।