आज का हिन्दू पंचांग

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दिनांक – 24 सितम्बर 2022

दिन – शनिवार

विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)

शक संवत -1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद ॠतु

मास – अश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – चतुर्दशी 25 सितम्बर रात्रि 03:12 तक तत्पश्चात अमावस्या

नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी 25 सितम्बर प्रातः 05:08 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी

योग – साध्य सुबह 09: 43 तक तत्पश्चात शुभ

राहुकाल – सुबह 09:29 से सुबह 11:00 तक

सूर्योदय – 06:28

सूर्यास्त – 18:32

दिशाशूल – पूर्व दिशा में

व्रत पर्व विवरण – मासिक शिवरात्रि, आग- दुर्घटना- अस्त्र-शस्त्र – अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध

विशेष – चतुर्दशी और श्राद्ध और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।

(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)

सर्व पितृ अमावस्या

श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार 25 सितम्बर, रविवार को यह अमावस्या है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर कुछ विशेष उपाय करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी कम होता है। इसलिए इस दिन भी ये उपाय किए जा सकते हैं।

पीपल में पितरों का वास माना गया है। सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं।

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को भोजन के लिए घर बुलाएं या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़ आदि का दान करें।

इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें। इससे भी पितृगण प्रसन्न होते हैं।

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर अपने पितरों को याद कर गाय को हरा चारा खिला दें। इससे भी पितृ प्रसन्न व तृप्त हो जाते हैं।

इस अमावस्या पर चावल के आटे से 5 पिडं बनाएं व इसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में प्रवाहित कर दें।

अमावस्या पर गाय के गोबर से बने कंड़े को जलाकर उस पर घी-गुड़ की धूप दें और पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु बोलें।

इस अमावस्या पर कच्चा दूध, जौ, तिल व चावल मिलाकर नदी में प्रवाहित करें। ये उपाय सूर्योदय के समय करें तो अच्छा रहेगा।

सर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष का आखिरी दिन पितृ अमावस्या होती है। इस दिन कुल के सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। फिर चाहे उनकी मृत्यु तिथि पता न हो। तब भी आप पितृ अमावस्या पर उनका तर्पण कर सकते हैं।

पितृ पक्ष की अमावस्या को सूर्यास्त से पहले ये उपाय करना है। इस उपाय में एक स्टील के लोटे में दूध, पानी, काले व सफेद तिल और जौ मिला लें।

इसके साथ कोई भी सफेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ पीपल के पेड़ के नीचे जाकर सबसे पहले ये सारा सामान पेड़ की जड़ में चढ़ा दें। इस दौरान सर्व पितृ देवभ्यो नम: का जप करते रहें।

ये मंत्र बोलते हुए पीपल को जनेऊ भी चढ़ाएं। इस पूरी विधि के बाद मन में सात बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें और भगवान विष्णु से कहें मेरे जो भी अतृप्त पितृ हों वो तृप्त हो जाए।

इस उपाय को करने से पितृ तृप्त होते हैं पितृ दोष का प्रभाव खत्म होता है और उनका अशीर्वाद मिलने लगता है। हर तरह की आर्थिक और मानसिक समस्याएं दूर होती हैं।

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