दिनांक – 04 सितम्बर 2022
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – अष्टमी सुबह 10:39 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – जेष्ठा रात्रि 09:43 तक तत्पश्चात मूल
योग – विषकंभ दोपहर 02:24 तक तत्पश्चात प्रीति
राहुकाल – शाम 05:19 से शाम 06:52 तक
सूर्योदय – 06:24
सूर्यास्त – 18:51
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा
अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें।
जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है।
इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा। अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।
जपकर ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें। ऐसा 10 बार करें। कैसा भी रोगी, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा।
विशेष – 5 सितम्बर 2022 सोमवार को भाद्रपद मास, शुक्ल नवमी तिथि है।