दिनांक – 1 अगस्त 2022
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा ऋतु
मास -श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्थी 2 अगस्त प्रातः 5:13 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी शाम 04:06 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग – परिघ शाम 07:04 तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल – सुबह 07:50 से सुबह 09:29 तक
सूर्योदय – 06:13
सूर्यास्त – 19:16
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
विशेष –
चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
काल सर्प योग
2 अगस्त मंगलवार को नाग पंचमी है।
नाग पंचमी के दिन, जिन को काल सर्प योग है, वे शांति के लिए ये उपाय करें। पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक दोने में कच्चा दूध रख दीजिये, घी का दीप जलाएं, कच्चा आटा , घी और गुड मिला कर एक छोटा लड्डू बना के रख दें और ये मन्त्र बोला कर प्रार्थना करें :-
🐍 *ॐ अनंताय नमः*
🐍 *ॐ वासुकाय नमः*
🐍 *ॐ शंख पालाय नमः*
🐍 *ॐ तक्षकाय नमः*
🐍 *ॐ कर्कोटकाय नमः*
🐍 *ॐ धनंजयाय नमः*
🐍 *ॐ ऐरावताय नमः*
🐍 *ॐ मणि भद्राय नमः*
🐍 *ॐ धृतराष्ट्राय नमः*
🐍 *ॐ कालियाये नमः*
काल सर्प योग है तो उस का प्रभाव निकल जाएगा, तकलीफ दूर होगी काल सर्प योग की शांति होगी
नागपंचमी
गंताक से आगे
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 2 अगस्त, मंगलवार को है। इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है। हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है।
महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं।
नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं-
कर्कोटक नाग
कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।
ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित शिव लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा।
इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
कालिया नाग
श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए।
यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो।
श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।
इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।