आज का हिन्दू पंचांग, श्रावण में रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व

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दिनांक – 29 जुलाई 2022

दिन – शुक्रवार

विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)

शक संवत -1944

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – वर्षा ऋतु

मास -श्रावण

पक्ष – शुक्ल

तिथि – प्रतिपदा 30 जुलाई रात्रि 01:21 तक तत्पश्चात द्वितीया

नक्षत्र – पुष्य सुबह 09:47 तक तत्पश्चात अश्लेशा

योग – सिद्धि शाम 06:36 तक तत्पश्चात व्यतिपात

राहुकाल – सुबह 11:07 से दोपहर 12:45 तक

सूर्योदय – 06:12

सूर्यास्त – 19:17

दिशाशूल – पश्चिम दिशा में

व्रत पर्व विवरण – अमावस्यांत श्रावण मासरम्भ, शिवपार्थेश्वर पूजन प्रारंभ, शिवपूजनारम्भ

विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

श्रावण में रुद्राभिषेक करने का महत्व

श्रावण में रुद्राभिषेक करने वाला मनुष्य उसके पाठ की अक्षर-संख्या से एक-एक अक्षर के लिए करोड़-करोड़ वर्षों तक रुद्रलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। पंचामृत का अभिषेक करने से मनुष्य अमरत्व प्राप्त करता है।

व्यतिपात योग

29 जुलाई शुक्रवार को शाम 6:37 से 30 जुलाई, शनिवार को शाम 7:02 तक व्यतिपात योग है।

व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है। जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।

श्रावण मास में भूमि पर शयन

श्रावण मास में भूमि पर शयन करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है।

पार्थिव शिवलिंग

जो पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर एक बार भी उसकी पूजा कर लेता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। शिवलिंग के अर्चन से मनुष्य को प्रजा, भूमि, विद्या, पुत्र, बान्धव, श्रेष्ठता, ज्ञान एवं मुक्ति सब कुछ प्राप्त हो जाता है।

जो मनुष्य ‘शिव’ शब्द का उच्चारण कर शरीर छोड़ता है वह करोड़ों जन्मों के संचित पापों से छूटकर मुक्ति को प्राप्त हो जाता है।

कलियुग में पार्थिव शिवलिंग पूजा ही सर्वोपरि है।

शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का पूजन सदा सम्पूर्ण मनोरथों को देनेवाला हैं तथा दुःख का तत्काल निवारण करनेवाला है।

जो मनुष्य प्रतिदिन तीनों समय पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करके बिल्वपत्रों से उसका पूजन करता है, वह अपनी एक सौ ग्यारह पीढ़ियों का उद्धार करके स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।

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