आज है पुत्रदा एकादशी

Spread with love

आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक – 13 जनवरी 2022

दिन – गुरुवार

विक्रम संवत – 2078

शक संवत -1943

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शिशिर

मास – पौस

पक्ष – शुक्ल

तिथि – एकादशी शाम 07:32 तक तत्पश्चात द्वादशी

नक्षत्र – कृत्तिका शाम 05:07 तक तत्पश्चात रोहिणी

योग – शुभ दोपहर 12:35 तक तत्पश्चात शुक्ल

राहुकाल – दोपहर 02:10 से शाम 03:32 तक

सूर्योदय – 07:19

सूर्यास्त – 18:15

दिशाशूल – दक्षिण दिशा में

व्रत पर्व विवरण –

पुत्रदा एकादशी, तैलंग स्वामी जयंती, लोहड़ी पर्व (पंजाब हिमाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर)

विशेष –

हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है। (संपूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम पाठ राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने।

आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।

एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।

एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है।

एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।

जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

पुत्रदा एकादशी

पुत्रदा एकादशी ( पुत्र की इच्छा से व्रत करनेवाला पुत्र पाकर स्वर्ग का अधिकारी हो जाता है। सब पापों को हरनेवाले इस व्रत का माहात्म्य पढ़ने व सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।

स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा की सुव्‍यवस्‍था

14 जनवरी 2022 शुक्रवार को (पुण्यकाल दोपहर 02:30 से सूर्यास्त तक) मकर संक्रान्‍ति (उत्तरायण) है।

मकर संक्रान्‍ति के दिन तिल गुड़ के व्‍यंजन और चावल में मूंग की दाल मिलाकर बनाई गई खिचड़ी का सेवन ऋतु-परिवर्तनजन्‍य रोगों से रक्षा करता है । इनका दान करने का भी विधान है।

मकर संक्रान्‍ति पर्व पर तिल के उपयोग की महिमा पर शास्‍त्रीय दृष्‍टि से प्रकाश डालते हुए पूज्‍य बापूजी कहते हैं : ‘’

जो मकर संक्रांति में इन छह प्रकारों से तिलों का उपयोग करता है वह इहलोक और परलोक में वांछित फल पाता है – तिल का उबटन, तिलमिश्रित जल से स्‍नान, तिल-जल से अर्घ, तिल का होम, तिल का दान और तिलयुक्‍त भोजन । किंतु ध्‍यान रखें – रात्रि को तिल व उसके तेल से बनी वस्‍तुएं खाना वर्जित है।

उत्तरायण विशेष

जिनके जीवन में अर्थ का अभाव, पैसों की तंगी बहुत देखनी पड़ती है जिनको कोई बहुत परेशान कर रहा है जिनके शरीर में रोग रहते हैं, मिटते नहीं हैं, उन सभी के लिए ये योग बहुत सुन्दर है क्या करें ?*

तपस्या कर सकें तो बहुत अच्छा है। नमक -मिर्च नहीं खाना उस दिन। आदित्यह्रदय स्त्रोत्र का पाठ भी जरुर करें (संपूर्ण आदित्यहृदय स्तोत्र पाठ .जितना हो सके १/२/३ बार, जो आप चाहते हैं। सुबह स्नान आदि करके श्वास गहरा लेके रोकना, गायत्री मंत्र बोलना, संकल्प करना। हम ये चाहते हैं प्रभु। ऐसा हो। फिर श्वास छोड़ना। ऐसा ३ बार जरुर करें। फिर अपना गुरु मंत्र का जप करें और सूर्य भगवन को अर्घ दें तो ये २१ मंत्र बोलें

ॐ सूर्याय नमः

ॐ रवये नमः

ॐ भानवे नमः

ॐ आदित्याय नमः

ॐ मार्तण्डाय नमः

ॐ भास्कराय नमः

ॐ दिनकराय नमः

ॐ दिवाकराय नमः

ॐ मरिचये नमः

ॐ हिरणगर्भाय नमः

ॐ गभस्तिभीः नमः

ॐ तेजस्विनाय नमः

ॐ सहस्त्रकिरणाय नमः

ॐ सहस्त्ररश्मिभिः नमः

ॐ मित्राय नमः

ॐ खगाय नमः

ॐ पूष्णे नमः

ॐ अर्काय नमः

ॐ प्रभाकराय नमः

ॐ कश्यपाय नमः

ॐ श्री सवितृ सूर्य नारायणाय नमः

पौराणिक सूर्य भगवान की स्तुति का मंत्र अर्घ देने से पहले बोले :-

जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम। तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर।

गाय को कुछ घास आदि डाल दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: