आज का पंचांग
दिनांक 20 जुलाई 2021
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)
शक संवत – 1943
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ़
पक्ष – शुक्ल
तिथि – एकादशी शाम 07:17 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र – अनुराधा रात्रि 08:33 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग – शुक्ल शाम 07:35 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहुकाल – शाम 04:04 से शाम 05:43 तक
सूर्योदय – 06:08
सूर्यास्त – 19:21
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
देवशयनी एकादशी, चातुर्मास व्रतारम्भ, पंढरपुर यात्रा
विशेष –
हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है।
एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
चतुर्मास एवं पुरुष सूक्त
आषाढ़ शुक्ल एकादशी (20 जुलाई, मंगलवार) से कार्तिक शुक्ल एकादशी (15 नवम्बर, सोमवार) तक चातुर्मास है ।
चतुर्मास में भगवान श्रीविष्णु के योगनिद्रा में शयन करने पर जिस किसी नियम का पालन किया जाता है, वह अनंत फल देनेवाला होता है – ऐसा ब्रह्माजी का कथन है।
जो मानव भगवान वासुदेव के उद्देश्य से केवल शाकाहार करके चतुर्मास व्यतीत करता है वह धनी होता है।
जो प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके केवल एक बार ही भोजन करता हैं वह धनवान, रूपवान और माननीय होता है।
जो मानव ब्रह्मचर्य – पालनपूर्वक चौमासा व्यतीत करता हैं वह श्रेष्ठ विमान पर बैठकर स्वेच्छा से स्वर्गलोक जाता है।
जो चौमासेभर नमक को छोड़ देता है उसके सभी पुर्तकर्म ( परोपकार एवं धर्मसम्बन्धी कार्य ) सफल होते है।
जिसने कुछ उपयोगी वस्तुओं को चौमासेभर त्यागने का नियम लिया हो, उसे वे वस्तुएँ ब्राह्मण को दान करनी चाहिए।
ऐसा करने से वह त्याग सफल होता है।
जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मुर्ख है।
जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर ‘पुरुष सूक्त’ का जप करता है, उसकी बुद्धि बढती है।