आज भूल कर भी यह ना खाएं, लग सकता है कलंक

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आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक 10 अक्टूबर 2021

दिन – रविवार

विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)

शक संवत -1943

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद

मास -अश्विन

पक्ष – शुक्ल

तिथि – पंचमी 11 अक्टूबर रात्रि 2:14 तक तत्पश्चात षष्ठी

नक्षत्र – अनुराधा दोपहर 02:44 तक तत्पश्चात जेष्ठा

योग – आयुष्मान शाम 03:04 तक तत्पश्चात सौभाग्य

राहुकाल – शाम 04:50 से शाम 06:18 तक

सूर्योदय – 06:33

सूर्यास्त – 18:17

दिशाशूल – पश्चिम दिशा में

व्रत पर्व विवरण – उपांग- ललिता पंचमी

विशेष –

पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

बहुत समस्या रहती हो तो

जिनको कोई तकलीफ रहती है, कर्जा है, काम धंधा नहीं चलता, नौकरी नहीं मिलती तो

सोमवार का दिन हो, सुबह बेलपत्र, पानी और दूध।

पहले दूध और पानी शिवलिंग पर चढ़ा दो फिर बेलपत्र रख दो।

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं। त्रिजन्म पापसंहारम् एकबिल्वं शिवार्पणं।

पाँच बत्ती वाला दीपक जलाकर रख दो और बैठकर थोडा अपना गुरुमंत्र जपो, तो जप भी हो जायेगा, जप का जप, पूजा की पूजा, काम का काम।

मंगलवार को २ मिनट लगेंगे। अगर गन्ने का रस मिल जाय थोडा सा या घर पर निकाल सकते हैं। वो थोडा रस शिवलिंग पर चढ़ा दिया।

मृत्‍युंजय महादेव त्राहिमाम् शरणागतमं। जन्म मृत्यु जराव्याधि पीड़ितं कर्मबंधनेहि।

बुधवार को थोडा जप कर लिया। जल आदि चढ़ा दिया, नारियल रख दिया अगर हो तो नहीं तो कोई जरुरत नहीं है।

जिनको ज्यादा तकलीफे हैं, उनके लिए है और जिनको न हो तो हरि ॐ तत् सत् बाकी सब गपसप।

शारदीय नवरात्रि

नवरात्र की पंचमी तिथि यानी पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं ।इससे परिवार में सुख-शांति रहती है।

स्कंदमाता की पूजा से मिलती है शांति व सुख

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं।

देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन स्वयं ही अच्छे-बुरे के बीच एक देवासुर संग्राम है व हम स्वयं अपने सेनापति हैं।

हमें सैन्य संचालन की शक्ति मिलती रहे। इसलिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके।

यह शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती हैं।

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