आज 12 जुलाई सोमवार का पञ्चाङ्ग

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आज का हिन्दू पंचांग

दिनांक 12 जुलाई

दिन – सोमवार

विक्रम संवत – 2078 (गुजरात – 2077)

शक संवत – 1943

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – वर्षा

मास – आषाढ़

पक्ष – शुक्ल

तिथि – द्वितीया सुबह 08:19 तक तत्पश्चात तृतीया

नक्षत्र – अश्लेशा 13 जुलाई प्रातः 03:15 तक तत्पश्चात मघा

योग – वज्र शाम 03:51 तक तत्पश्चात सिद्धि

राहुकाल – सुबह 07:44 से सुबह 09:24 तक

सूर्योदय – 06:05

सूर्यास्त – 19:22

दिशाशूल – पूर्व दिशा में

व्रत पर्व विवरण – भगवान जगन्नाथ रथयात्रा

विशेष –

द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

मंगलवारी चतुर्थी

13 जुलाई 2021 (सुबह 08:25 14 जुलाई सूर्योदय तक )

मंत्र जप व शुभ संकल्प की सिद्धि के लिए विशेष योग

मंगलवारी चतुर्थी को किये गए जप-संकल्प, मौन व यज्ञ का फल अक्षय होता है ।

मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना। जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है।

बिना नमक का भोजन करें

मंगल देव का मानसिक आह्वान करो

चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें

कितना भी कर्ज़दार हो, काम धंधे से बेरोजगार हो, रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा।

मंगलवार चतुर्थी

भारतीय समय के अनुसार 13 जुलाई 2021 को (सुबह 08:25 से 14 जुलाई सूर्योदय तक) चतुर्थी है, इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नामों से सुमिरन करें और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें, शुभ संकल्प करें तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते हैं।

मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार हैं

1) ॐ मंगलाय नमः*

2) ॐ भूमि पुत्राय नमः*

3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः*

4) ॐ धन प्रदाय नमः*

5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः*

6) ॐ महा कायाय नमः*

7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः*

8) ॐ लोहिताय नमः*

9) ॐ लोहिताक्षाय नमः*

10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः*

11) ॐ धरात्मजाय नमः*

12) ॐ भुजाय नमः*

13) ॐ भौमाय नमः*

14) ॐ भुमिजाय नमः*

15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः*

16) ॐ अंगारकाय नमः*

17) ॐ यमाय नमः*

18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः*

19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः*

20) ॐ वृष्टि हराते नमः*

21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः*

ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें, फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए।

अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-

भूमि पुत्रो महा तेजा*

कुमारो रक्त वस्त्रका*

ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम*

ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे*

हे भूमि पुत्र, महा क्यातेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ।

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