जिला प्रशासन द्वारा पेयजल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए आग्रह

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सोलन। उपायुक्त सोलन कृतिका कुल्हारी ने सोलन आने वाले सभी पर्यटकों एवं आमजन से आग्रह किया है कि वे कण्डाघाट विकास खण्ड के साधुपुल के समीप अश्वनी खड्ड के किनारे न जाएं।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय पेयजल संरक्षण एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने के दृष्टिगत लिया गया है और इस दिशा में सभी का सहयोग अपेक्षित है।

कृतिका कुल्हारी ने सभी से आग्रह किया कि अश्वनी खड्ड के किनारों पर न तो गाड़ियां धोएं और न ही प्लास्टिक कचरा एवं अन्य प्रकार की गंदगी खड्ड के पानी में डालें।

उन्होंने कहा कि इस तरह का कृत्य जहां पेयजल को दूषित करता है वहीं पर्यटकों एवं आम लोगों के जीवन के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने सभी से यह आग्रह भी किया है कि अश्वनी खड्ड में किसी भी प्रकार की जलक्रीड़ा के लिए न जाएं।

उन्होंने सभी से अपील की है कि कोविड-19 संकट के दृष्टिगत प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का पूर्ण पालन करें।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर नाक से ठोडी तक ढकते हुए मास्क पहनने, सोशल डिस्टेन्सिग नियम अर्थात 2 व्यक्तियों के मध्य उचित दूरी बनाए रखने और बार-बार अपने हाथ साबुन अथवा एल्कोहलयुक्त सेनिटाइजर से साफ करने से कोरोना संक्रमण से बचाव किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति द्वारा नियम पालन इस दिशा में अन्य को भी प्रेरित करता है और नियम पालन की यह श्रृंखला बहुमूल्य मानव जीवन को बचाए रखने में महत्वपूर्ण है।

उपायुक्त ने पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि यह सुनिश्चित बनाया जाए कि पर्यटकों को साधुपुल से चायल की ओर जाने तथा भोजनालय इत्यादि में भोजन करने में किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।

कृतिका कुल्हारी ने कहा कि सोलन जिला की परिधि में अश्वनी खड्ड के किनारे आपराधिक दण्ड संहिता की धारा-144 लागू की गई है। इसके तहत अश्वनी खड्ड में नहाना, गाड़ी धोना तथा प्लास्टिक कचरा एवं अन्य गंदगी फैलाना निषिद्ध है।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य पर्यटकों को असुविधा प्रदान करना नहीं है अपितु इसके माध्यम से अश्वनी खड्ड के पानी को दूषित होने से बचाना है। अश्वनी खड्ड का पानी सोलन जिला के बड़े भू-भाग में पेयजल आपूर्ति का मुख्य साधन है।

उन्होंने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि गर्मियों के मौसम में सोलन जिला में आए पर्यटक अश्वनी खड्ड में नहाते हैं, गाड़ी धोते हैं और यहां वहां कचरा फैलाकर पेयजल को दूषित करते हैं।

ऐसे में अक्सर लोग यह भी ध्यान नहीं रखते कि पहाड़ी क्षेत्र में हल्की सी बारिश भी खड्ड के जल में तीव्र वृद्धि का कारण बन उनके जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती है।

ऐसी परिस्थितियों के दृष्टिगत यह आवश्यक है कि ऐसी किसी भी गतिविधि को प्रतिबन्धित किया जाए जो पेयजल को प्रदूषित करती हो और जल जनित रोग फैलाने का कारण बन सकती हो।

उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति कोविड नियमों की अवहेलना करता है तथा अश्वनी खड्ड के किनारे किसी भी प्रकार की गंदगी फैलाते पाया जाता है तो उसके विरूद्ध विधि सम्मत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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