शिमला। उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी की अध्यक्षता में आज मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना (किसान उत्पादक संगठन ) की पहली बैठक आयोजित की गई।
उपायुक्त ने बताया कि योजना का मुख्य उद्देश्य जिला के किसानों व बागवानों के कृषि उत्पादक संघ का गठन करना तथा इसके माध्यम से किसानों व बागवानों को आर्थिक सहायता प्रदान करके उनके उत्पादन व आय में वृद्धि करना है तथा नाबार्ड द्वारा पहले से गठित किसान उत्पादक संगठन को बढ़ावा देना है।
उन्होंने बताया कि यह योजना किसानों की आय बढ़ाने में लाभदायक सिद्ध होगी। संगठन के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 100 किसान इसमें जुड़े होने चाहिए तभी किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के अंतर्गत किसान उत्पादक संगठन को परियोजना लागत के ऊपर 30 प्रतिशत आर्थिक अनुदान प्रदान करेगा, जिसकी अधिकतम सीमा 6 लाख रुपये है।
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जिला शिमला को 9 कृषि उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि योजना के अंतर्गत पात्र कृषि उत्पादक संघ को किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था से कुल प्रायोजन लागत के 50 प्रतिशत धनराशि के बराबर या अधिकतम साढ़े सात लाख रुपये की क्रेडिट गांरटी के साथ शीघ्र लोन का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत संग्रह केन्द्र, ग्रेडिंग व सौर्टिंग केन्द्र, मुख्य प्रस्संकरण केन्द्र, शीत भण्डारण गृह, थोक दूध चीलर, दूध पाश्च्योराइजेशन अथवा कस्टम हायरिंग सेंटर जैसी गतिविधियों के लिए तुरन्त सहायता प्रदान कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के तहत योजना में पंजीकरण होने के लिए किसानों का एक समूह बनाकर विभाग में आवेदन करना होगा, जिसके उपरांत काॅपरेटिव सोसायटी अधिनियम 1968 या कम्पनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत किया जाएगा, जिसकी किसान उत्पादक संगठन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका होगी।
उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए इच्छुक किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि एक शक्तिशाली संगठन होने के कारण किसान उत्पादक संगठन के सदस्य के रूप में किसानों को बेहतर सौदेबाजी करने की शक्ति प्रदान करेगी, जिससे उनकी ऊपज को प्रतिस्पर्धा मूल्यों पर खरीदने या बेचने का लाभ मिल सकेगा।
इसके अतिरिक्त किसानों व बागवानों से जुड़े विभिन्न प्रकार की समस्याओं के समाधान में भी यह संगठन सहायक सिद्ध होंगे।
उन्होंने समिति के सभी सदस्यों से आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करने का आग्रह किया ताकि योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ जिला के किसानों तथा बागवानों को प्राप्त हो सके।