शिमला। विश्व पर्यावरण दिवस, 2021 के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश सचिवालय शिमला में वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान सचिव पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के के पन्त ने की।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण एवं जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत प्रदेश, देश का अग्रणी राज्य है।
राज्य में वर्ष 2011 से प्लास्टिक के कप, प्लेट, गिलास इत्यादि पर प्रतिबन्ध लगाया गया तथा वर्ष 2018 में थर्मोकोल से बनी वस्तुएं जैसे थाली, कप, प्लेट, चम्मच इत्यादि पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
के.के. पन्त ने कहा कि पाॅलीथीन हटाओ पर्यावरण बचाओ अभियान के माध्यम से प्रत्येक वर्ष लगभग 60 टन प्लास्टिक कचरा एकत्रित कर उसका उपयोग सड़क निर्माण और सीमेंट उद्योगों में ईंधन के रूप में किया गया।
इसके माध्यम से 190 किलोमीटर प्लास्टिक की सड़कें बनाई गई। प्रदेश में प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट से उत्पन्न समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा नाॅन-साइकलेबल प्लास्टिक अपशिष्ट 75 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदने के लिए बाय-बैक पाॅलिसी शुरू की गई है।
इसके अन्तर्गत अब तक 1,35,600 किलो प्लास्टिक खरीदा गया, जिसके लिए 87 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यावरण प्रबन्धन को सुदृढ़ करने के लिए कई शोध परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। आई.आई.टी मण्डी के विशेषज्ञों के सहयोग से लैंड स्लाइड अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है।
पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली भी विकसित की गई है।
इस अवसर पर प्रधान सचिव ने पर्यावरण विभाग द्वारा विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से तैयार की गई कुल्लू जिला की जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन रिर्पोट भी जारी की।
कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत आरूषी ठाकुर द्वारा निर्मित तथा राजेश द्वारा निर्देशित लघु वृतचित्र भी प्रदर्शित किया गया।