राज्यपाल ने नानाजी को उनकी पुण्यतिथि पर किया स्मरण

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शिमला। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि नानाजी देशमुख द्वारा ग्रामीण विकास के लिए किए गए महत्त्वपूर्ण योगदान ने गांव में रहने वाले लोगों को सशक्त बनाने की नई राह दिखाई है। वह दलित व्यक्ति के प्रति विनम्रता, करूणा और प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह सही अर्थों में भारत रत्न हैं।

नानाजी देशमुख की पुण्यतिथि के अवसर पर ‘टूवार्डस् बैटर इंडिया’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से बातचीत करते हुए राज्यपाल ने कहा कि नानाजी एक समाज सुधारक और बेहतरीन राजनीतिज्ञ थे।

उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भता के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया। उन्हें 1999 में पद्म विभूषण और 2019 में मरणोपरान्त भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1950 में गोरखपुर में भारत का पहला सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित किया था।

उन्होंने कहा कि नानाजी ने हमेशा ही न केवल अपने सहयोगियों के साथ बल्कि अपने विरोधियों के साथ भी अच्छे संबंध स्थापित किए। डाॅ. राम मनोहर लोहिया के साथ उनके संबंधों ने भारतीय राजनीति की दिशा को बदल दिया।

लोहिया और देशमुख की दोस्ती ने 1967 के राज्य विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की पहली गैर कांग्रेसी गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया। उनका जीवन और कार्य इस बात का उदाहरण है कि प्रौद्योगिकी और परम्परा में तालमेल बिठाकर उसे किस प्रकार मानव कल्याण और उत्थान के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

नानाजी एक ऐसे व्यक्ति थे जो पार्टी राजनीति से ऊपर उठ चुके थे और उन्होंने समाज सेवा के अपने उद्देश्य के लिए पार्टी लाईन से हटकर लोगों और नेताओं को विकास के लिए संगठित किया। नानाजी के जीवन का संदेश सामाजिक व आर्थिक विकास के अपने लक्ष्य में निरंतर नवाचार द्वारा उदार नेतृत्व का पोषण करना है।

दत्तात्रेय ने दीन दयाल पूरम के निर्माण के दौरान नानाजी के साथ के अपने अनुभव सांझा किए और कहा कि समाज के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। आने वाली पीढ़ियां उनके बताए गए मार्ग का अनुसरण करें, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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